हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|रानी रूपकुँवरिजी| प्रभुके दो ही दास हैं साँ... रानी रूपकुँवरिजी श्याम छबिपर मैं वारी वारी... राखत आये लाज शरणकी । राख... देखो री छबि नन्दसुवनकी । ... बस गये नैनन माँहि बिहारी ... मूरति मुहनियाँ राधिकाजूकी... भज मन राधा गोपाल छोड़ो सब ... रसना क्यों न राम रस पीती ... अब मन कृष्ण कृष्ण कहि लीज... भजन बिन है चोला बेकाम । ... हमारे प्रभु कब मिलिहै घनश... हमपर कब कृपालु हरि हुइहौ ... करहु प्रभु भवसागरसे पार ... प्रभुजी ! यह मन मूढ़ न मा... बिहारी जू है तुम लौ मेरी ... जय जय श्रीकृष्णचन्द्र नंद... जय जय मोहन मदनमुरारी ॥ ज... जागहु ब्रजराज लाल मोर मुक... लागो कृष्ण -चरण मन मेरौ ॥... नाथ मुहिं कीजै ब्रजकी मोर... हे हरि ब्रजबासिन मुहिं की... प्रभुके दो ही दास हैं साँ... भजन - प्रभुके दो ही दास हैं साँ... हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है। Tags : bhajanroopkunwarijiभजनरूपकुँवरिजी प्रकीर्ण Translation - भाषांतर प्रभुके दो ही दास हैं साँचे ॥ नेमी होय चाहि हो प्रेमी होय न मनके काँचे । प्रथम भक्ति प्रेमी जन पावत दूजे नेमी राँचे ॥ प्रेम भाव लखि ब्रजगोपिनको तिनके सँग प्रभु नाँचे । रूपकुँवरि यह सत्य जान लो हरि साँचेको साँचे ॥ N/A References : N/A Last Updated : December 23, 2007 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP