भजन - या जग मित न देख्यो कोई । ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


या जग मित न देख्यो कोई ।

सकल जगत अपने सुख लाग्यो, दुखमें संग न होई ॥

दारा-मीत,पूत संबंधी सगरे धनसों लागे ।

जबहीं निरधन देख्यौ नरकों संग छाड़ि सब भागे ॥

कहा कहूँ या मन बौरेकौं, इनसों नेह लगाया ।

दीनानाथ सकल भय भंजन, जस ताको बिसराया ॥

स्वान-पूँछ ज्यों भयो न सूधो, बहुत जतन मैं कीन्हौ ।

नानक लाज बिरदकी राखौ नाम तिहारो लीन्हौ ॥

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Last Updated : December 20, 2007

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