राम सुमिर, राम सुमिर, एही तेरो काज है ॥टेक॥
मायाकौ संग त्याग, हरिजूकी सरन लाग ।
जगत सुख मान मिथ्या, झूठौ सब साज है ॥१॥
सुपने ज्यों धन पिछान, काहे पर करत मान ।
बारूकी भीत तैसें, बसुधाकौ राज है ॥२॥
नानक जन कहत बात, बिनसि जैहै तेरो गात ।
छिन छिन करि गयौ काल्ह तैसे जात आज है ॥३॥