ऐ अजीज ईमान तू, काहेको खोवै ।
हिय राखै दरगाहमें, तो प्यारा होवै ॥१॥
यह दुनिया नाचीजके, जो आसिक होवै ।
भूलै जात खोदायको सिर, धुनि-धुनि रोवै ॥२॥
इस दुनिया नाचीजके, तालिब हैं कुत्ते ।
लज्जतमें मोहित हुए, दुख सहे बहूते ॥३॥
जबलगि अपने आपको, तहकीक न जानै ।
दास मलूका रब्बको, क्योंकर पहिचानै ॥४॥