भजन - तेरा , मैं दीदार -दीवाना ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


तेरा, मैं दीदार-दीवाना ।

घड़ी घड़ी तुझे देखा चाहूँ, सुन साहेबा रहमाना ॥

हुआ अलमस्त खबर नहिं तनकी, पीया प्रेम-पियाला ।

ठाढ़ होऊँ तो गिरगिर परता, तेरे रँग मतवाला ॥

खड़ा रहूँ दरबार तुम्हारे, ज्यों घरका बंदाजादा ।

नेकीकी कुलाह सिर दिये, गले पैरहन साजा ॥

तौजी और निमाज न जानूँ, ना जानूँ धरि रोजा ।

बाँग जिकर तबहीसे बिसरी, जबसे यह दिल खोज ॥

कह मलूक अब कजा न करिहौं, दिलहीसों दिल लाया ।

मक्का हज्ज हियेमें देखा, पूरा मुरसिद पाया ॥

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Last Updated : December 20, 2007

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