हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|अनुवादीत साहित्य|रामदासकृत हिन्दी मनके श्लोक|बहुजिनसी| ॥ समास दूसरा - सर्वज्ञसंगनिरूपणनाम ॥ बहुजिनसी ॥ समास पहला - बहुदेवस्थाननिरूपणनाम ॥ ॥ समास दूसरा - सर्वज्ञसंगनिरूपणनाम ॥ ॥ समास तीसरा - निस्पृहसिकवणनिरूपणनाम ॥ ॥ समास चौथा - देहदुर्लभनिरूपणनाम ॥ ॥ समास पांचवां - करंटेपरीक्षानिरूपणनाम ॥ ॥ समास छठवां - उत्तमपुरुषनिरूपणनाम ॥ ॥ समास सातवां - जनस्वभावनिरूपणनाम ॥ ॥ समास आठवां - अंतरदेवनिरूपणनाम ॥ ॥ समास नववां - निद्रानिरूपणनाम ॥ ॥ समास दसवां - श्रोताअवलक्षणनिरूपणनाम ॥ बहुजिनसी - ॥ समास दूसरा - सर्वज्ञसंगनिरूपणनाम ॥ ‘स्वधर्म’ याने मानवधर्म! जिस धर्म के कारण रिश्तों पहचान होकर मनुष्य आचरन करना सीखे । Tags : hindimanache shlokramdasमनाचे श्लोकरामदासहिन्दी ॥ समास दूसरा - सर्वज्ञसंगनिरूपणनाम ॥ Translation - भाषांतर ॥ श्रीरामसमर्थ ॥ अज्ञानता से जो कुछ हुआ। हुआ सो हो गया । सूझबूझ से आचरण करना । चाहिये नियम से ॥१॥ ज्ञाता की संगत धरें । ज्ञाता की सेवा करें । ज्ञाता की सद्बुद्धि लें । धीरे धीरे ॥२॥ ज्ञाता के पास लिखना सीखें । ज्ञाता के पास पढना सीखें । ज्ञाता से पूछें । सब कुछ ॥३॥ ज्ञाता के लिये करें उपकार । ज्ञाता के लिये जुझायें शरीर । ज्ञाता का देखें विचार । कैसा है ॥४॥ ज्ञाता की संगति से भजें । ज्ञाता की संगति से जूझें । ज्ञाता की संगति से रिझें । विवरण कर पुनः पुनः ॥५॥ ज्ञाता के साथ गायें गाने । ज्ञाता के साथ बजायें । नाना आलाप सीखें । ज्ञाता के पास ॥६॥ ज्ञाता के पीछे रहें । ज्ञाता की औषधि लें । ज्ञाता कहे सो करें । पथ्य पहले ॥७॥ ज्ञाता के पास परीक्षा सीखना । ज्ञाता के पास तालीम करना। ज्ञाता के पास तैरने का । अभ्यास करें ॥८॥ ज्ञाता जो बोले वैसे बोलें । ज्ञाता कहे वैसे चलें । ज्ञाता का ध्यान करें । नाना प्रकार से ॥९॥ ज्ञाता की कथायें सीखें । ज्ञाता की युक्ति समझें । ज्ञाता की सकल बातों का करें । विवरण ॥१०॥ ज्ञाता के पेंच जानें । ज्ञाता से अंतरंग खोलें । ज्ञाता रखता वैसे रखें । लोग राजी ॥११॥ ज्ञाता के जानें प्रसंग । ज्ञाता के लें रंग । ज्ञाता के स्फूर्ति के तरंग । अभ्यास करें ॥१२॥ ज्ञाता का साक्षेप लें । ज्ञाता का तर्क जानें । ज्ञाता के उल्लेख समझें । न बोलते हुये ही ॥१३॥ ज्ञाता का धूर्तपन । ज्ञाता का राजकारण । ज्ञाता का निरूपण । सुनते जायें ॥१४॥ ज्ञाता के कवित्व सीखें । गद्य पद्य पहचानें । माधुर्यवचन समझें । अंतर्याम में ॥१५॥ ज्ञाता के देखें प्रबंध । ज्ञाता के वचनभेद । ज्ञाता के नाना संवाद । खोजें अच्छे से ॥१६॥ ज्ञाता की तीक्ष्णता । ज्ञाता की सहिष्णुता । ज्ञाता की उदारता । समझ कर लें ॥१७॥ ज्ञाता की नाना कल्पना । ज्ञाता की दीर्घसूचना । ज्ञाता की विवंचना । समझ कर लें ॥१८॥ ज्ञाता का काल सार्थक । ज्ञाता का अध्यात्मविवेक । ज्ञाता के गुण अनेक । सारे ही लें ॥१९॥ ज्ञाता का भक्तिमार्ग । ज्ञाता का वैराग्ययोग । ज्ञाता का सारा प्रसंग । समझाकर लें ॥२०॥ ज्ञाता का देखें ज्ञान । ज्ञाता का सीखें ध्यान । ज्ञाता के सूक्ष्म चिन्ह । समझकर लें ॥२१॥ ज्ञाता का अलिप्तपन । ज्ञाता के विदेहलक्षण । ज्ञाता का ब्रह्मविवरण । समझकर लें ॥२२॥ ज्ञाता एक अंतरात्मा । क्या बखानें उसकी महिमा । विद्याकलागुणसीमा । कौन करें ॥२३॥ परमेश्वर के गुणानुवाद । अखंड करें संवाद । उनके कारण आनंद । उदंड होता ॥२४॥ परमेश्वर जो निर्माण करता । वह दृष्टि से अखंड दिखता । पुनः पुनः विवरण से समझता । विवेकी जनों को ॥२५॥ जितना कुछ हुआ निर्माण । उतना जगदीश्वर ने किया निर्माण । अलग करना निर्माण । चाहिये पहले ॥२६॥ वह निर्माण करता है जन । परंतु देखने पर न होता दर्शन । विवेक बल से अनुमान । में लाते जायें ॥२७॥ उसका अखंड धरने पर ध्यान । कृपालु बन के देता अशन । सर्वकाल संभाषण । तदंश से ही करें ॥२८॥ध्यान ना धरे वह अभक्त । ध्यान धरे वह भक्त । संसार से मुक्त । भक्तों को करे ॥२९॥ उपासना की अंत में । अखंड भेंट देव भक्त में । अनुभवी जानता ये बातें। प्रत्यय की ॥३०॥ इति श्रीदासबोधे गुरुशिष्यसंवादे सर्वज्ञसंगनिरूपणनाम समास दूसरा ॥२॥ N/A References : N/A Last Updated : December 09, 2023 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP