हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|अनुवादीत साहित्य|रामदासकृत हिन्दी मनके श्लोक|बहुजिनसी| बहुजिनसी बहुजिनसी ॥ समास पहला - बहुदेवस्थाननिरूपणनाम ॥ ॥ समास दूसरा - सर्वज्ञसंगनिरूपणनाम ॥ ॥ समास तीसरा - निस्पृहसिकवणनिरूपणनाम ॥ ॥ समास चौथा - देहदुर्लभनिरूपणनाम ॥ ॥ समास पांचवां - करंटेपरीक्षानिरूपणनाम ॥ ॥ समास छठवां - उत्तमपुरुषनिरूपणनाम ॥ ॥ समास सातवां - जनस्वभावनिरूपणनाम ॥ ॥ समास आठवां - अंतरदेवनिरूपणनाम ॥ ॥ समास नववां - निद्रानिरूपणनाम ॥ ॥ समास दसवां - श्रोताअवलक्षणनिरूपणनाम ॥ दशक अठारहवां - बहुजिनसी 'ऐसी इसकी फलश्रुति' डॉ. श्री. नारायण विष्णु धर्माधिकारी कृत. Tags : hindimanache shlokramdasमनाचे श्लोकरामदासहिन्दी बहुजिनसी - ॥ समास पहला - बहुदेवस्थाननिरूपणनाम ॥ ‘स्वधर्म’ याने मानवधर्म! जिस धर्म के कारण रिश्तों पहचान होकर मनुष्य आचरन करना सीखे । Tags: रामदास, हिन्दी, hindi, manache shlok, ramdas, मनाचे श्लोक Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: N/A बहुजिनसी - ॥ समास दूसरा - सर्वज्ञसंगनिरूपणनाम ॥ ‘स्वधर्म’ याने मानवधर्म! जिस धर्म के कारण रिश्तों पहचान होकर मनुष्य आचरन करना सीखे । Tags: रामदास, हिन्दी, hindi, manache shlok, ramdas, मनाचे श्लोक Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: N/A बहुजिनसी - ॥ समास तीसरा - निस्पृहसिकवणनिरूपणनाम ॥ ‘स्वधर्म’ याने मानवधर्म! जिस धर्म के कारण रिश्तों पहचान होकर मनुष्य आचरन करना सीखे । Tags: रामदास, हिन्दी, hindi, manache shlok, ramdas, मनाचे श्लोक Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: N/A बहुजिनसी - ॥ समास चौथा - देहदुर्लभनिरूपणनाम ॥ ‘स्वधर्म’ याने मानवधर्म! जिस धर्म के कारण रिश्तों पहचान होकर मनुष्य आचरन करना सीखे । Tags: रामदास, हिन्दी, hindi, manache shlok, ramdas, मनाचे श्लोक Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: N/A बहुजिनसी - ॥ समास पांचवां - करंटेपरीक्षानिरूपणनाम ॥ ‘स्वधर्म’ याने मानवधर्म! जिस धर्म के कारण रिश्तों पहचान होकर मनुष्य आचरन करना सीखे । Tags: रामदास, हिन्दी, hindi, manache shlok, ramdas, मनाचे श्लोक Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: N/A बहुजिनसी - ॥ समास छठवां - उत्तमपुरुषनिरूपणनाम ॥ ‘स्वधर्म’ याने मानवधर्म! जिस धर्म के कारण रिश्तों पहचान होकर मनुष्य आचरन करना सीखे । Tags: रामदास, हिन्दी, hindi, manache shlok, ramdas, मनाचे श्लोक Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: N/A बहुजिनसी - ॥ समास सातवां - जनस्वभावनिरूपणनाम ॥ ‘स्वधर्म’ याने मानवधर्म! जिस धर्म के कारण रिश्तों पहचान होकर मनुष्य आचरन करना सीखे । Tags: रामदास, हिन्दी, hindi, manache shlok, ramdas, मनाचे श्लोक Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: N/A बहुजिनसी - ॥ समास आठवां - अंतरदेवनिरूपणनाम ॥ ‘स्वधर्म’ याने मानवधर्म! जिस धर्म के कारण रिश्तों पहचान होकर मनुष्य आचरन करना सीखे । Tags: रामदास, हिन्दी, hindi, manache shlok, ramdas, मनाचे श्लोक Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: N/A बहुजिनसी - ॥ समास नववां - निद्रानिरूपणनाम ॥ ‘स्वधर्म’ याने मानवधर्म! जिस धर्म के कारण रिश्तों पहचान होकर मनुष्य आचरन करना सीखे । Tags: रामदास, हिन्दी, hindi, manache shlok, ramdas, मनाचे श्लोक Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: N/A बहुजिनसी - ॥ समास दसवां - श्रोताअवलक्षणनिरूपणनाम ॥ ‘स्वधर्म’ याने मानवधर्म! जिस धर्म के कारण रिश्तों पहचान होकर मनुष्य आचरन करना सीखे । Tags: रामदास, हिन्दी, hindi, manache shlok, ramdas, मनाचे श्लोक Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: N/A Folder Page Word/Phrase Person References : N/A Last Updated : December 04, 2023 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP