सगुणपरीक्षा - ॥ समास छठवां - आध्यात्मिकताप निरूपणनाम ॥

श्रीमत्दासबोध के प्रत्येक छंद को श्रीसमर्थ ने श्रीमत्से लिखी है ।


॥ श्रीरामसमर्थ ॥
तापत्रयों के लक्षण । अब करूं निरूपण । श्रोता करें श्रवण । एकाग्र होकर ॥१॥
जो तापत्रय से तप्त । वह संतसंग से हुआ शांत । आर्तभूत होता संतुष्ट । पदार्थ से जैसे ॥२॥
क्षुधाक्रांत को मिले अन्न । तृषाक्रांत को जीवन । बंदी हुआ उसके बंधन । तोडने पर सुख ॥३॥
महापूर में अटका हुआ । उसे उसपार ले गया । अथवा जो स्वप्न से जाग गया । स्वप्न दुःखी ॥४॥
किसी को मरण । आने पर दिया जीवदान । संकट से कर निवारण । तोडने पर हो सुख ॥५॥
रोगी को औषध । अनुभवसहित और शुद्ध । होता आनंद । आरोग्य होने पर ॥६॥
ऐसा संसार से दुःखी हुआ । त्रिविध तापों से तप्त हुआ । वही एक अधिकारी हुआ । परमार्थ का ॥७॥
वे त्रिविध ताप हैं कैसे । अभी बोले जायेंगे वैसे । इस विषय में हैं एक ऐसे । वाक्याधार ॥८॥

॥ श्लोक ॥    
देहेंद्रियमनः प्राणैः सुखं दुःखं च प्राप्यते ॥१॥          
इममाध्यात्मिक तापं विजानीयाद्धि देहिनाम् ।         
सर्वभूतेन संयोगात् सुखं दुःखं च जायते ।         
द्वितीयंतापसंतापः सत्य चैवाधिभौतिकः ॥२॥     
शुभाशुभेन कर्मणा देहान्ते यमयातना ।         
स्वर्गनरकादि भोक्तव्यमिदं चैवाधिदैविकम् ॥३॥

एक ताप आध्यात्मिक । दूजा वो आधिभौतिक । तीसरा आधिदैविक । ताप जानिये ॥९॥
आध्यात्मिक वह कौन । उसकी कैसे पहचान । आधिभौतिक के लक्षण । जानेंगे कैसे ॥१०॥
आधिदैविक वो कैसा । कौन सी उसकी दशा । यह भी विशद समझे ऐसा । विस्तार कीजिये ॥११॥
हां जी कहकर वक्ता । कहे विस्तारित कथा । आध्यात्मिक ताप कैसा । सुनो अब सावधानी से ॥१२॥
देह इंद्रिय और प्राण । इनके योग से हम । सुख दुःख से थकते जान । इसका नाम आध्यात्मिक ॥१३॥
देह में से जो आये । इंद्रियां प्राण से दुःख पाये । वे आध्यात्मिक कहे गये । तापत्रयों में ॥१४॥
देह में से आये क्या । प्राण से कैसा दुःख हुआ । अब यह विशद किया । जाना चाहिये ॥१५॥
खुजली खसरा फुंसी नारू । नखशूल गिल्टी देवी शीतला । देह के विकार । इसका नाम आध्यात्मिक ॥१६॥
कंखौरी बालतोड । दुष्टव्रण जहरावाद । व्याधि मूलव्याधि महाजड । इसका नाम आध्यात्मिक ॥१७॥
अंगुलवेदना गलसुआ । अकारण शरीर में खाज उठे । मसूडों में सूजन फोडे । इसका नाम आध्यात्मिक ॥१८॥
व्यर्थ फोडे उठते । या फिर अंग में सूजन होती । बात और चिलक भरती । इसका नाम आध्यात्मिक ॥१९॥
दाद अस्थिव्रण गजकर्ण । चर्बी बढकर पेट विस्तीर्ण । तालू फटे बहे कर्ण । इसका नाम आध्यात्मिक ॥२०॥
कुष्ट और गलित कुष्ट । पांडुरोग अतिश्रेष्ठ । क्षयरोग के कष्ट । इसका नाम आध्यात्मिक ॥२१॥
गठिया वायुगोला अपचन । हांथ पांव में उठती वेदना । सिर चकराना पुनः पुनः । इसका नाम आध्यात्मिक ॥२२॥
लांघना और गिल्टी । उदरशूल की तडपन । अर्धशीशी उठे कपाल पर । इसका नाम आध्यात्मिक ॥२३॥
दुखती कमर और गर्दन । पीठ ग्रीवा और वदन । अस्थिजोड दुखते जान । इसका नाम आध्यात्मिक ॥२४॥
आंतो का दर्द पेट दर्द कामल । मुहांसे फोडे गंडमाला । विदेश का लगना पानी । इसका नाम आध्यात्मिक ॥२५॥
जलशोष और हिंवताप । सर चकराना अंधेरा छाना । ज्वर रोमांच पाचाव । इसका नाम आध्यात्मिक ॥२६॥
शीत उष्ण और तृषा । क्षुधा निद्रा और दिशा । विषयतृष्णा की । दुर्दशा । इसका नाम आध्यात्मिक ॥२७॥
आलसी मूर्ख और अपयशी । भय उद्भव हो मानसी । भुलक्कड दुश्चित अहर्निशी । इसका नाम आध्यात्मिक ॥२८॥
मूत्रावरोध और प्रमेह । रक्तपित्त रक्तप्रमेह । पथरी के कारण श्रम । इसका नाम आध्यात्मिक ॥२९॥
मरोड़ दस्त मूत्रजलन । दिशा बंद होने पर आंदोलन । एक व्यथा होने पर भी ना हो निदान । इसका नाम आध्यात्मिक ॥३०॥
गांठ सरकी पेट में जंत । गिरती आव और रक्त । अन्न गिरता यथावत । इसका नाम आध्यात्मिक ॥३१॥
पेट फूलना बल पडना । लोच भरना उसका लगना । फोडे पर लगने से तडपना । इसका नाम आध्यात्मिक ॥३२॥
हिचकी लगना ग्रास अटकना । पित्त खौलना उल्टी होना । जिव्हा पर कांटे सर्दी और खांसी होना । इसका नाम आध्यात्मिक ॥३३॥
होना दमा सांस फूलना । सूखी खांसी और कफ । मन्दज्वार और संताप । इसका नाम आध्यात्मिक ॥३४॥
किसी ने सिंदूर खिलाया । उससे प्राणी घबराया । गले में फोडा हुआ । इसका नाम आध्यात्मिक ॥३५॥
गलसुंडी और जीभ गलना । मुंह से सदा दुर्गंध निकलना । दांत टूटकर कीडे लगना । इसका नाम आध्यात्मिक ॥३६॥
पथरी नाक फूटना गंडमाल । अचानक अपने आप आंख फूटना । स्वयं ही अंगुली काटना । इसका नाम आध्यात्मिक ॥३७॥
टींस उठना चिलक लगना । अथवा दांत का उखड़ जाना । अधर जिव्हा रगड खाना । इसका नाम आध्यात्मिक ॥३८॥
कर्णदुःख नेत्रदुःख । नाना दुःखों से होता शोक । गर्भाध और नपुंसक । इसका नाम आध्यात्मिक ॥३९॥
फुल ढेढर मोतियाबिंदु । कीडे कीचड रतौंधी । दुश्चित भ्रम पागलपन । इसका नाम आध्यात्मिक ॥४०॥
मूक बधिर ओंठ कटा । लूला विक्षिप्त और पागल । पंगु कुबडा और लंगडा । इसका नाम आध्यात्मिक ॥४१॥
तेनी आंख वक्र ग्रीवा कनखी ऐंचा । भूरी आंख नाटा लंगडी चाल । षडांगुल घेघेवाला कुरूप । इसका नाम आध्यात्मिक ॥४२॥
बडे दांत भद्दी नाक । घ्राणहीन श्रोत्रहीन बातूनी । अति कृश अति स्थूल । इसका नाम आध्यात्मिक ॥४३॥
तोतला पोपला निर्बल । रोगी कुरूप कुटिल । मत्सरी खाऊ क्रोधी । इसका नाम आध्यात्मिक ॥४४॥
संतापी अनुतापी मत्सरी । कामुक ईर्ष्यालु तिरस्कारी । पापी अवगुणी विकारी । इसका नाम आध्यात्मिक ॥४५॥
अकड ऐंठन दर्द । भींच और लचक । सूजन और संधिरोग । इसका नाम आध्यात्मिक ॥४६॥
रूकना गर्भवाढ आडा गर्भवात । स्तनगांठ सन्निपात । संसार उलझन अपमृत्य । इसका नाम आध्यात्मिक ॥४७॥
नखविष और नाक में फुंसी । बांसा अन्न और कुपथ्य के रोगी । व्यर्थ ही दांत भींचना । इसका नाम आध्यात्मिक ॥४८॥
झडते बरौनी सूजते भौहें । नेत्रों में होती रांजनवाडी । चष्मा लगता प्राणी को । इसका नाम आध्यात्मिक ॥४९॥
फुंसिया तील चट्टे काले श्वेत । चामाखेल गलंड मस्सा । भ्रम होना मनको । इसका नाम आध्यात्मिक ॥५०॥
नाना सूजन और आकुंचन । अंग में दुर्गंधी प्रबल । बाल झडना लार टपकना । इसका नाम आध्यात्मिक ॥५१॥
नाना चिंताओं की कालिख । नाना दुःखों से चित्त में जलन । व्याधि बिना तडपन । इसका नाम आध्यात्मिक ॥५२॥
वृद्धत्व की आपदा । नाना रोग होते सदा । देह क्षीण सर्वदा । इसका नाम आध्यात्मिक ॥५३॥
नाना व्याधि नाना दुःख । नाना भोग नाना जख्म । प्राणी तडपे होता शोक । इसका नाम आध्यात्मिक ॥५४॥
ऐसे आध्यात्मिक ताप । पूर्व पापों का संताप । कहने में अंतहीन अमाप । दुःखसागर ॥५५॥
बहुत क्या कहें । श्रोता संकेत से जानें । आगे सहज ही कहे । आधिभौतिक ॥५६॥
इति श्रीदासबोधे गुरुशिष्यसंवादे अध्यात्मिकताप निरूपणनाम समास छठवां ॥६॥

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Last Updated : November 30, 2023

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