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गार्ग्य n. एक ऋषिपरंपरा । गर्ग परंपरा के लोग गार्ग्य नाम से प्रथित हुवे । वेद, प्रतिशाख्य, यज्ञ, व्याकरण, ज्योतिष, धर्मशास्त्र आदि विषय में उनके ग्रंथ तथा विचार उपलब्ध है । यह कार्य एक का नही । परंपरा में आये अनेक शिष्यप्रशिष्य द्वारा यह संपन्न हुआ, इस में संदेह नही । यहॉं केवल निर्देश किये है । काल तथा भिन्नता प्रकट करना अशक्य है । एक व्याकरणकार । पाणिनि ने तीन बार इसका उल्लेख किया है [पा. सू. ७.३. ९९, ८.३. २०, ४. ६७] । ऋक्प्रातिशाख्या तथा वाजसनेय प्रातिशाख्या में भी गार्ग्यमत उध्दृत किया है [ऋ. प्रा.१३.३०] । निरुक्त में भी गार्ग्यमत है [नि. १.३.१२,३.१३] । यास्क यथा रथीतर के साथ इसका निर्देश है [बृहद्देवता १.२६] । सामवेद का पदपाठ गार्ग्यविरचित है । सामवेद परंपरा में शर्वदत्त का गार्ग्य पैतृक नाम है । सामवेदियों के उपाकर्माग तर्पण में इसका नाम है (जैमिनी देखिये) । एक गृह्यकर्मविशारद । शांत्युदक तथा मधुपर्क विषयक इसके मत उपलब्ध [कौ. सू. ९.१०, १३. ७,१७.२७] । एक तत्त्वज्ञ । यह गौतम शिष्य था । इसका शिष्य अगिवेश्य [बृ. उ.४.६.२] । एक ज्योतिषी के नाते हेमाद्रि ने इसका निर्देश किया है (C.C) । मेरु कर्णिका ऊर्ध्ववेणीकृत आकार की है [वायु. ३४. ६३] , । यह ज्योतिषशास्त्रीय सिद्धान्त इसने प्रस्थापित किया । यह अंगिराकुल का एक गोत्रकार तहा मंत्रकार है । परंतु ऋग्वेद में गार्ग्य का मंत्र नही है ।
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गार्ग्य n. वृद्धयाज्ञवल्क्य एक श्लोक विश्वरुपरचित विवरण नामक ग्रंथ में है । उसमें उल्लेख है कि यह धर्मशास्त्रकार है (१. ४-५) । गार्ग्य के ग्रंथ का एक वचन लिया गया है, उससे पता चलता है कि, गार्ग्य का धर्मशास्त्र पर कोई ग्रंथ अवश्य उपलब्ध होगा । अपरार्क, स्मृतिचंद्रिका, मिताक्षरा आदि ग्रंथों में श्राद्द्ध, प्रायश्चित्त तथा आह्रिक आदि विषयों पर इसके उद्धरण लिये गये है । पाराशरधर्मशूत्र में मी यह धर्मशास्त्रकार है, यों उल्लेख है । अपरार्क में इसके ग्रंथ से ज्योतिविषयक श्लोक भी लिये गये है । गर्गसंहिता के ज्योतिषविषयक श्लोक भी प्राप्त हुए है । स्मृतिचन्द्रिका में ज्योतिर्गार्ग्य एवं बृहद्गार्ग्य इन दो ग्रंथों का उल्लेख हुआ है । नित्याचारप्रदीप में गर्ग तथा गार्ग्य नामक दो भिन्न स्मृतिकारों का उल्लेख है । पूरुवंश के गर्ग तथा शिनि की संतति को गार्ग्य यह सामान्यनाम दिया जाता था । यह क्षत्रिय थे, परंतु तप से वे गार्ग्य तथा शैन्य नाम के ब्राह्मण हो गये थे [भा.९.२१.१९] ;[विष्णु.४.१९.९] । केकयदेशाधिपति युधिजित् राजा का गार्ग्य नामक पुरोहित था । यह युधाजित् । राजा की ओर से गंधर्वदेश जीतने के लिये राम के पास आया था । उसने तक्ष तथा पुष्कलों की सहायता से यह कार्य पूर्ण किया [वा.रा.यु.१००] ।
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gārgya m A tribe of Bráhmans or an individual of it.
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गार्ग्य [gārgya] a. a. Descended from Garga.
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