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वृकासुर
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वृकासुराची कथा
हिंदू धर्मातील पुराणे अतिप्राचीन असून त्यातील कथा उच्च संस्कृतीच्या प्रतिक आहेत.
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वृकासुरः
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वृकासूर
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விருகாசுரன்
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বৃকাসুর
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ବୃକାସୁର
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ਵ੍ਰਕਾਸੁਰ
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વૃકાસુર
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വൃകാസുരന്
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विकोक
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दशमस्कन्धपरिच्छेदः - एकोननवतितमदशकम्
श्रीनारायणके दूसरे रूप भगवान् श्रीकृष्णकी इस ग्रंथमे स्तुति की गयी है ।
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अध्याय ८८ वा - श्लोक १६ ते २०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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कोक
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अध्याय ८८ वा - श्लोक ३६ ते ४०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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वृक
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स्कंध १० वा - अध्याय ८८ वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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अध्याय ८८ वा - श्लोक ११ ते १५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय ८८ वा - श्लोक ३१ ते ३५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय ८९ वा - श्लोक ६ ते १०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय ८८ वा - श्लोक २१ ते २५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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श्री गणेश प्रताप - क्रीडाखंड अध्याय २१
सर्व कीर्तीने युक्त, सर्व देवाधिदेवांमध्ये श्रेष्ठ अशा अत्यंत प्रिय असलेल्या श्रीगजाननाच्या स्तुतीपर हा ग्रंथ आहे.
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केदारखण्डः - अध्यायः १७
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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