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शिवभक्त वीरमणी
हिंदू धर्मातील पुराणे अतिप्राचीन असून त्यातील कथा उच्च संस्कृतीच्या प्रतिक आहेत.
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वीरमणी
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ویرمنی
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ویٖرمٔنی
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বীরমণি
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ବୀରମଣି
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વીરમણિ
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ਵੀਰਮਣਿ
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वीरमणि
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वीरमणिः
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अध्याय दुसरा - अभंग १ ते २०
मोरोपंत हे जरी संत नव्हते, तरी सदाचरणी, सच्छील असे ते एक विद्वान् गृहस्थाश्रमी होते.
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अध्याय दुसरा - अभंग ६१ ते ९१
मोरोपंत हे जरी संत नव्हते, तरी सदाचरणी, सच्छील असे ते एक विद्वान् गृहस्थाश्रमी होते.
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पातालखण्डः - अध्यायः ३९
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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कुशलवोपाख्यान - अध्याय बारावा
‘आर्या’ वृतातील प्रचंड काव्यरचनेबद्दल प्रसिद्ध असलेले मराठी कवी मोरोपंत हे पुराण मोठे छान सांगत.
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आदिपर्व - अध्याय तिसावा
मोरेश्वर रामजी पराडकर (१७२९–१७९४), हे महाराष्ट्रात मोरोपंत अथवा मयूर पंडित नावाने ओळखले जातात.
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कथाकल्पतरू - स्तबक ११ - अध्याय ३
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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भगवान गोपालकृष्ण - अध्याय १८ वा
प्राचीन कवी केशवदत्त यांनी ’ गोपाल कृष्ण ’ हे उत्तम काव्य रचले आहे.
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विराटपर्व - अध्याय पहिला
मोरेश्वर रामजी पराडकर (१७२९–१७९४), हे महाराष्ट्रात मोरोपंत अथवा मयूर पंडित नावाने ओळखले जातात.
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