रामज्ञा प्रश्न - प्रथम सर्ग - सप्तक २

गोस्वामी तुलसीदासजीने श्री. गंगाराम ज्योतिषीके लिये रामाज्ञा-प्रश्नकी रचना की थी, जो आजभी उपयोगी है ।


दसरथ राज न ईति भय, नहिं दुख दुरित दुकाल ।

प्रमुदित प्रजा प्रसन्न सब, सब सुख सदा सुकाल ॥१॥

महाराज दशरथके राज्यमें न ईति ( अतिवृष्टि, अनावृष्टि, टिड्डी, चूहे तथा सुग्गोंके उपद्रव तथा शत्रु राजओंकि आक्रमण ) का भय था, न दुःख पाप या अकालका ही भय था । सारी प्रजा प्रसन्न थी, सब प्रकारका सुख था सदा सुकाल ( सुभिक्ष ) रहता था ॥१॥

( यदि प्रश्‍न किसी भय या रोगानिवृत्तिके सम्बन्धमें है तो वह भय या रोग दूर होगा । )

कौसल्या पद नाइ सिर, सुमिरि सुमित्रा पाय ।

करहु काज मंगल कुसल. बिधि हरि संभु सहाय ॥२॥

श्रीकौसल्याजीके चरणोमें मस्तक झुकाकर और सुमित्राजीके चरणोंका स्मरण करके काम करो, आनन्द-मंगल होगा । ब्रह्मा, विष्णु और शंकरजी सहायक होंगे ॥२॥

( सभी कायोंमे सफलता होगी । )

बिधिबस बन मृगया फिरत दीन्ह अन्ध मुनि साप ।

सो सुनि बिपति बिषाद बड़, प्रजहिं सोक संतोष ॥३॥

( महाराज दशरथका ) दैववश वनमें आखेटके लिये घूमते समय अन्धे मुनिने शाप दे दिया ॥ उसे सुनकर प्रजाको बडी़ विपत्तिका बोध हुआ, महान्‌ दुःख शोक और सन्ताप हुआ ॥३॥

( प्रश्‍न-फल अनिष्टकी सूचना देता है । )

सुतहित बिनती कीन्ह नृप, कुलगुरु कहा उपाउ ।

होइहि भल संतान सुनि प्रमुदित कोसल राउ ॥४॥

महाराज दशरथने पुत्रप्राप्तिके लिये प्रार्थना की, कुलगुरु वसिष्ठजीने उसका उपाय बतलाया ( और कहा- ) 'अच्छी सन्तान उत्पन्न होगी ।' यह सुनक्र महाराज दशरथ अत्यन्त प्रसन्न हुए ॥४॥

( सन्तान-प्राप्तिसम्बन्धी प्रश्न है तो सफलता होगी । )

पुत्र जागु करवाइ रिषि राजहि दीन्ह प्रसाद ।

सकल सुमंगल मूल जग भूसुर आसिरबाद ॥५॥

महर्षि वसिष्ठजीने पुत्रेष्टि - यज्ञ कराकर महाराजको प्रसाद दिया।

ब्राह्मणोंका आशीर्वाद संसारमें सभी श्रेष्ठ मंगलोंका ॥ मूल ( देनेवाला ) है ॥५॥

( प्रश्‍न-फल उत्तम है । )

राम जनम घर घर अवध मंगल गान निसान ।

सगुन सुहावन होइ सत मंगल मोद निधान ॥६॥

श्रीरामका जन्म ( अवतार ) होनेपर अयोध्याके प्रत्येक घरमें मंगलगीत गाये जाने लगे, नौबत बजने लगी । यह शकुन शुभदायक है, कल्याण एवं प्रसन्नताका निधान पुत्र होगा ॥६॥

राम भरतु सानुज लखन दसरथ बालक चारि ।

तुलसी सुमिरत सगुन सुभ मंगल कहब पचारि ॥७॥

तुलसीदासजी कहते हैं कि महाराज दशरथके चारों कुमार श्रीराम, भरत शत्रुघ्न तथा लक्ष्मणका स्मरण करनेसे शुभ-शकुन और मंगल होता है, यह मैं घोषणा करके कह देता हूँ ॥७॥

( प्रश्‍न-फल शुभ है । )

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Last Updated : January 22, 2014

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