मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष व्रत - भैरवजयन्ती

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


भैरवजयन्ती

( शिवरहस्य ) -

मार्गशीर्ष कृष्णाष्टमीको व्रत रखे और प्रत्येक प्रहरमें भैरवका यथाविधि पुजन करके

' भैरवार्घ्य गृहाणेश भीमरुपाव्ययानघ । अनेनार्घ्यप्रदानेन तुष्टो भव शिवप्रिय ॥'

' सहस्त्राक्षिशिरोबाहो सहस्त्रचरणाजर । गृहाणार्घ्यं भैरवेदं सपुष्पं परमेश्वर ॥'

' पुष्पाञ्जलिं गृहाणेश वरदो भव भैरव । पुनरर्घ्यं गृहाणेदं सपुष्पं यातनापह ॥'

इन तीन मन्त्नोसें तीन बार अर्घ्य दे । रात्रिमें जागरण करे और शिवजीकी कथा सुने तो सब पापोंसे मुक्त हो जाता है । भैरवका मध्याह्नमें जन्म हुआ था, अतः मध्याह्णव्यापिनी अष्टमी लेनी चाहिये ।

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Last Updated : January 22, 2009

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