पुत्रीयव्रत
( हेमाद्रि ) -
आश्विन कृष्ण अष्टमीको प्रातःस्त्रानादि करके वासुदेवका पूजन करे । घी और खीरकी आहुति दे और जिस स्त्रीको पुत्रकी कामना हो, वह पुरुष - नामके - केले, अमरुद, सीताफल और खरबूजा आदि और जिसको कन्याकी कामना हो, वह स्त्री - नामके - नारंगी, अनार, कमरख और जामुन आदिका एक बार भोजन करे । इस प्रकार वर्षपर्यन्त करनेसे पुत्र होता है । इसी तिथिको ' जीवत्पुत्रिकाव्रत ' भी किया जाता है । इस व्रतका आचरण पुत्रकी जीवन - रक्षाके उद्देश्यसे होता है ।