मध्याह्न-संध्या

रात या दिनमें जो भी अज्ञानवश विकर्म हो जायँ, वे त्रिकाल-संध्या करनेसे नष्ट हो जाते है।


(प्रातः संध्याके अनुसार करे)

प्राणायामके बाद 'ॐ सूर्यश्च मेति' के विनियोग तथा आचमन-मन्त्रके स्थानपर नीचे लिखा विनियोग तथा मन्त्र पढ़े ।

विनियोग - ॐ आपः पुनन्त्विति ब्रह्मा ऋषिर्गायत्री छन्दः आपो देवता अपामुपस्पर्शने विनियोगः ।

आचमन - ॐ आपः पुनन्तु पृथिवी पृथ्वी पूता पुनतु माम् । पुनन्तु ब्रह्मणस्पतिर्ब्रह्मपूता पुनातु माम् । यदुच्छिष्टमभोज्यं च यद्वा दुश्चरितं मम । सर्वं पुनन्तु मामापोऽसतां च प्रतिग्रह स्वाहा ।

(तै० आ० प्र० १०, अ० २३)

उपस्थान - चित्रके अनुसार दोनों हाथ ऊपर करे ।

अर्घ्य - सीधे खड़े होकर सूर्यको एक अर्घ्य दे ।

विष्णुरूपा गायत्रीका ध्यान -

ॐ मध्याह्ने विष्णुरूपां च तार्क्ष्यस्थां पीतवाससाम् ।

युवतीं च यजुर्वेदां सूर्यमण्डलसंस्थिताम् ॥।

सूर्यमण्डलमें स्थित युवावस्थावाली, पीला वस्त्र, शङ्ख, चक्र, गदा तथा पद्म धारण कर गरुडपर बैठी हुइ यजुर्वेदस्वरूपा गायत्रीका ध्यान करे ।

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Last Updated : May 24, 2018

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