भजन - जा दिनतें निरख्यौ नँद -नं...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


जा दिनतें निरख्यौ नँद-नंदन, कानि तजी घर बन्धन छूट्यो ॥

चारु बिलोकनिकी निसि मार, सँभार गयी मन मारने लूट्यो ॥

सागरकौं सरिता जिमि धावति रोकि रहे कुलकौ पुल टूट्यो ।

मत्त भयो मन संग फिरै, रसखानि सुरूप सुधा-रस घूट्यो ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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