भजन - सेस , महेस , गनेस , दिनेस...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


सेस, महेस, गनेस, दिनेस, सुरेसहु जाहि निरन्तरगावैं ।

जाहि अनादि, अनन्त, अखण्ड, अछेद, अभेद सुबेद बतावैं ॥

नारद-से सुक ब्यास रटैं, पचिहारे, तऊ पुनि पार न पावैं ।

ताहि अहीरकी छोहरीयाँ छछियाभरि छाछपै नाच नचावैं ॥


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Last Updated : December 25, 2007

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