हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|अनुवादीत साहित्य|दासबोध हिन्दी अनुवाद|नवविधाभक्तिनाम| समास पांचवां अर्चनभक्तिनाम नवविधाभक्तिनाम समास पहला श्रवणभक्तिनिरूपणनाम समास दूसरा कीर्तनभजननिरूपणनाम समास तीसरा नामस्मरणभक्तिनाम समास चौथा पादसेवनभक्तिनिरुपणनाम समास पांचवां अर्चनभक्तिनाम समास छठवां वंदनभक्तिनाम समास सातवां दास्यभक्तिनिरुपणनाम समास आठवां सख्यभक्तिनिरुपणनाम समास नववां आत्मनिवेदनभक्तिनाम समास दसवां मुक्तिचतुष्टये नाम समास पांचवां अर्चनभक्तिनाम ‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है । Tags : dasbodhramdasदासबोधरामदास समास पांचवां अर्चनभक्तिनाम Translation - भाषांतर ॥ श्रीरामसमर्थ ॥ पीछे हुआ निरुपण । चौथी भक्ति के लक्षण । अब सुनें सावधान । पांचवीं भक्ति ॥१॥ पांचवीं भक्ति यह अर्चन । अर्चन याने देवतार्चन । शास्त्रोक्त पूजा विधान । करना चाहिये ॥२॥ नाना आसन उपकरण । वस्त्र अलंकार भूषण । मानसपूजा मूर्तिध्यान । इसका नाम पांचवीं भक्ति ॥३॥ देवब्राह्मण अग्निपूजन । साधूसंत अतीतपूजन । यतीमहानुभावगायत्रीपूजन । इसका नाम पांचवीं भक्ति ॥४॥धातुपाषाणमृत्तिकापूजन । चित्रलेपसत्पात्रपूजन । अपने गृहों के देवतार्चन । इसका नाम पांचवीं भक्ति ॥५॥ शिला सप्तांकित नवांकित । शालिग्राम शकल चक्रांकित । लिंग सूर्यकांत सोमकांत । बाण तंदुल नर्बदे ॥६॥ भैरव भगवती मल्हारी । मुंज्या नृसिंह बनशंकरी । नाग सिक्के नानापरी । पंचायतनपूजा ॥७॥ गणेशशारदाविठ्ठलमूर्ति । रंगनाथ-जगन्नाथतांडवमूर्ति । श्रीरंगहनुमंत- गरुडमूर्ति । देवतार्चन में पूजें ॥ ८॥ मच्छकूर्मवहावमूर्ति । नृसिंह- वामनभार्गवमूर्ति । रामकृष्णहयग्रीवमूर्ति । देवतार्चन में पूजें ॥९॥केशवनारायणमाधवमूर्ति । गोविंदविष्णु-मधुसूदनमूर्ति । त्रिविक्रम- वामनश्रीधरमूर्ति । हृषीकेशपद्मनाभ ॥१०॥दामोदरसंकर्षणवासुदेवमूर्ति । प्रद्युम्न अनिरुद्धपुरुषोत्तममूर्ति । अघोक्षज-नारसिंहअच्युतमूर्ति । जनार्दन और उपेंद्र ॥११॥ हरिहर की अनंत मूर्ति । भगवंतजगदात्माजगदीशमूर्ति । शिवशक्ति की बहुधा मूर्ति । देवतार्चन में पूजें ॥१२॥अश्वत्थनारायण सूर्यनारायण । लक्ष्मीनारायण त्रिमल्ल-नारायण । श्रीहरी नारायण आदिनारायण । शेषशायी परमात्मा ॥१३॥ ऐसे परमेश्वर की मूर्ति । देखने जाओ तो उदंड रहती । उनका अर्चन करें भक्ति । पांचवीं ऐसी ॥१४॥ इनसे अलग कुलधर्म । तोड़ें नहीं अनुक्रम । उत्तम अथवा मध्यम । करते जायें ॥१५॥ जाखमाता मायराणी । बाला बगुला मानविणी । पूजा मांगिणी जोगिनी । कुलधर्म में करें ॥१६॥ नाना तीर्थक्षेत्रों को जायें । वहां उस देव का पूजन करें । नाना उपचारों से अर्चन करें । परमेश्वर का ॥१७॥ पंचामृत गंधाक्षत । पुष्प परिमल द्रव्य बहुत । धूपदीप असंख्यात । निरांजन कर्पूर के ॥१८॥ नाना खाद्य नैवेद्य सुंदर । नाना फल तांबूल प्रकार । दक्षणा नाना अलंकार । दिव्यांबर वनमाला ॥१९॥ शिबिका छत्र सुखासन । माही मेघडंब्र सूर्यपान । दिंडी पताका निशान । वीणा करताल मृदंग ॥२०॥ नानावाद्य नानाउत्सव । नानाभक्त समुदाय । गाते हरिदास सद्भाव । लगा भगवंत से ॥२१॥ वापी कूप सरोवर । नाना देवालय शिखर । राजांगण मनोहर । वृदांवन तलघर ॥२२॥ मठ मंडप धर्मशाला । देवद्वार पर विश्रामशाला । नाना उपकरण नक्षत्रमाला । नाना वस्त्रसामग्री ॥२३॥ नाना परदे मंडप चदोवे । नाना रत्न लटकते अच्छे । नाना मंदिरों में समर्पित करें । हाथी घोडे रथ ॥२४॥अलंकार और अलंकारपात्र । द्रव्य और द्रव्यपात्र । अन्नोदक और अन्नोदकपात्र । नाना प्रकार के ॥२५॥ वन उपवन पुष्पवाटिका । तपस्वियों की पर्णकुटिका । ऐसी पूजा जगन्नायक । को यथाकथन समर्पण करें ॥२६॥शुक सारिका मयूर । बदक चक्रवाक चकोर । कोकिल चीतल सांभर । देवालय में समर्पित करें ॥२७॥ सुगंधमृग और मार्जार । गायें भैंस वृषभ वानर । नाना पदार्थ और पुत्र । देवालय में समर्पित करें ॥२८॥ काया बाचा और मन से । चित्त वित्त जीव प्राण से । भगवंत अर्चन करें सद्भाव से । इसका नाम अर्चन भक्ति ॥२९॥ऐसे ही सद्गुरु का भजन । करके रहियें अनन्य । इसका नाम भगवद्भजन । पांचवीं भक्ति ॥३०॥ ऐसी पूजा न होती भली । मानस पूजा करते जायें तो भी । मानस पूजा हो अवश्य ही । परमेश्वर की ॥३१॥ मन से भगवंत को पूजें । कल्पना से सर्व ही समर्पित करें । मानसपूजा के जानियें । लक्षण ऐसे ॥३२॥ जो जो स्वयं चाहें । वो सब कल्पना कर समर्पित करें । इस प्रकार करें । मानसपूजा ॥३३॥ इति श्रीदासबोधे गुरुशिष्यसंवादे अर्चनभक्तिनाम समास पांचवां ॥५॥ N/A References : N/A Last Updated : February 13, 2025 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP