माघ कृष्णपक्ष व्रत - विधिपूजा

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


विधिपूजा

( भविष्योत्तर ) - माघी अमाको प्रतिदिनके स्त्रान - दानादिके पश्चात् वस्त्राच्छादित वेदीपर वेद - वेदाङ्गभूषित ब्रह्माजीका गायत्रीसहित पूजन करे और नवनीत ( मक्खन ) की देनेवाली गौका तथा सुवर्ण, छत्र, वस्त्र, उपानह्, शय्या, अञ्जन और दर्पणादि ' स्थानं स्वर्गेऽथ पाताले यन्मत्यें किञ्चिदुत्तमम् । तदवाप्रोत्यसंदिग्धं पद्ययोनेः प्रसादतः ॥' इस मन्त्नसे निवेदन करके ब्राह्मणको दे और ' यत्किञ्चिद वाचिकं पापं मानसं कायिकं तथा । तत सर्वं नाशमायाति युगादितिथिपूजानात् ॥' को स्मरणकर शुद्ध भावसे सजातियोंसहित भोजन करे ।

N/A

References : N/A
Last Updated : January 01, 2002

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP