हिंदी सूची|पूजा एवं विधी|नित्य कर्म पूजा|स्नानसे पूर्वके कृत्य|शौचाचार| मूत्र-शौच-विधि शौचाचार शौच-विधि मूत्र-शौच-विधि परिस्थिति-भेदसे शौचमें भेद आभ्यन्तर शौच मूत्र-शौच-विधि प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे. Tags : devatadevipoojaदेवतादेवीपूजा मूत्र-शौच-विधि Translation - भाषांतर केवल लघुशंका (पेशाब) करनेपर शौचकी (शुध्द होनेकी) विधि कुछ भिन्न होती है । लघुशंकाके बाद यदि आगे निर्दिष्ट क्रिया न की जाय तो प्रायश्चित करना पड़्ता है । अत: इसकी उपेक्षा न करे ।विधि यह है -- लघुशंकाके बाद एक बार लिन्गमें, तीन बार बायें हाथमें और दो बार दोनों हाथोंमे मिट्टी लगाये और धोये । एक-एक बार पैरोंमें भी मिट्टी लगाये और धोये । फिर हाथ ठीकसे धोकर चार कुल्ले करे । आचमन कर, इसके बाद मिट्टीको अच्छी तरह बहा दे । स्थान साफ कर दे । शीघ्रतामें अथवा मार्गादिमें जलसे लिन्ग प्रक्षालन कर लेनेपर तथा हाथ--पैर धो लेनेपर और कुल्ला कर लेनेपर सामान्य शुध्दि हो जाती है, पर इतना अवश्य करना चाहिये । N/A References : N/A Last Updated : November 25, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP