( राग - खमाज; ताल - त्रिताल. )
भाग बडो तिनको अहो भाग. ॥ जहां नाथ चले मथुराको ॥ध्रु.॥
गाय चरावत बन्सि बजावत । गावतु है नीको ॥१॥
मोहन नागर दासनके घर । आजु गये नीको ॥२॥


( राग - सारंग; ताल - त्रिताल. )
ऐसा है सारंग रे भाई ॥ध्रु.॥
संगित गावे गावे बजावे । गावे सबकु रिझावे ॥१॥
तनमनकी सुधि गयो है । बिकल भये हैवान रे ॥२॥
रसिक कहे रे सुन गवया । नादके भेद बहुत रे ॥३॥


( राग - गौरी; ताल - त्रिताल. )
आबे मदनमोहन कान । अजब गौरिको तान ॥ध्रु. ॥
गोपी गुबाल गुवालिनी निरखित । चलत है अस्मान ॥१॥
इंद्रबिधीको गरब निबार्‍यो । भगतनको अभिमान ॥२॥

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Last Updated : December 09, 2016

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