-
m Narad the son of Brahma and one of the ten original Munis or Rishis. He delighted in exciting quarrels. Hence, an incendiary, embroiler.
-
Nárad, the son of Brahmá, and one of the ten original Múni or Rishi. He delighted in exciting quarrels. Hence An incendiary, embroiler, make-bate.
-
नारद n. एक वैदिक द्रष्टा एवं यज्ञवेत्ता [अ.वे.५.१९.९,१२.४.१६,२४,४१] ;[मै. सं.१.५.८] । यह हरिश्चंद्र राजा का पुरोहित था, एवं पुरुषमेध करने की राय इसीने उसे दी थी [ऐ.ब्रा.७.१३] । वशा धेनु का मांस ब्राह्मण ने भक्षण करना योग्य है या अयोग्य, इस विषय में इसका नामनिर्देश अथर्ववेद में कई बार आया है । यह बृहस्पति का शिष्य था [सां.ब्रा.३.९] । यद्यपि सारी विद्याएँ इसने बृहस्पति से प्राप्त की थी, तथापि ‘ब्रह्मज्ञान’ के प्राप्ति के लिये, यह सनत्कुमार के पास गया था [छां.उ.७.१.१] । सोमक साहदेव्य नामक अपने शिष्य को, इसने ‘सोमविद्या’ सिखायी थी [ऐ.ब्रा.७.३४] । पर्वत नामक अन्य आचार्य के साथ, इसने आंबष्ठय एवं युधांश्रौष्टि राजाओं ‘ऐंद्रमहाभिषेक’ किया थ [ऐ. ब्रा.८.२१] ।
-
नारदः [nāradḥ] [नरस्य धर्मो नारं, तत् ददाति दा-क] N. of a celebrated Devarṣi (deified saint or divine sage). [He is one of the ten mind-born sons of Brahmā, being supposed to have sprung from his thigh (Ms.1. 35). He is represented as a messenger from the gods to men and vice versa and as being very fond of promoting discords among gods and men; hence his epithet of Kalipriya. He is said to have been the inventor of the lute or Vīṇā. He is also the author of a code of laws which goes by his name.] -Comp.
Site Search
Input language: