पैल n. अंगिराकुल का एक गोत्रकार ।
पैल II. n. एक ऋषि, जो पिली ऋषि का वंशज एवं भृगुकुलोत्पन्न गोत्रकार था
[म.आ.५७.७४] ।
पैल III. n. एक ऋषि, जो कृष्ण द्वैपायन व्यास का शिष्य था । इसको व्यास ने संपूर्ण वेदों का एवं महाभारत का अध्ययन कराया था
[म.आ.५७.७४] । व्यासने इसे ब्रह्मांडपुराण भी सिखाया था
[ब्रह्मांड.१.१.१८] । यह वसु ऋषि का पुत्र था, एवं युधिष्ठिर के राजसूर्य यज्ञ में धौम्य ऋषि के साथ यह ‘होता’ बना था
[भा.१.४.२१,१२.६.५२] । शरशय्या पर पडे हुए भिष्म के पास, अध्य ऋषियों के साथ यह भी आया था ।
[म.शां.४७.६५] । इसके शिष्यों में, इंद्रप्रमति एवं बाष्कल प्रमुख थे (व्यास देखिये) ।
पैल IV. n. एक ऋषि, जो ब्रह्मांड के अनुसार, व्यास की ऋक्शिष्य परंपरा के शाकवैण रथीतर ऋषि का शिष्य था ।
पैल V. n. ‘भास्कर संहिता’ के अंतर्गत ‘निदानतंत्र’ ग्रंथ का कर्ता
[ब्रह्मवै २.१६] ।
पैल VI. n. वासुकिकुल एक नाग, जो जनमेजय के सर्पसस्त्र में जल कर मारा गया था
[म.आ.५२.५] ।