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उपालि

   { upāliḥ }
Script: Devanagari

उपालि     

उपालि n.  बुद्ध का एक प्रमुख शिष्य, जिसे स्वयं बुद्ध के द्वारा ‘ विनय पिटक ’ की शिक्षा प्राप्त हुई थीं (दीपवंश ४.३.५) । इसका जन्म कपिलवस्तु के एक नाई - कुटुम्ब में हुआ था । शाक्य देश के अनिरुद्ध आदि राजपुत्रों के साथ यह बुद्ध से मिलने गया, जहाँ बुद्ध ने अन्य सभी व्यक्तियों से पहले इसे ‘ प्रव्रज्या ’ प्रदान की, एवं इसे अपना शिष्य बनाया । ‘ प्रव्रज्या ’ प्रदान करने के पश्चात् उपस्थित सभी राजकुमारों को बुद्ध ने आज्ञा दी कि, वे इसे वंदन करे । बौद्धधर्मसंघ में सामाजिक प्रतिष्ठा से भी बढ कर अधिक महत्त्व व्यक्ति की धर्मविषयक निष्ठा को है, इस तत्त्व का साक्षात्कार कराने के हेतु बुद्ध ने इसके साथ इतने बहुमान से बर्ताव किया ।
उपालि n.  स्वयं बुद्ध के द्वारा इसे विनयपिटक का सर्वश्रेष्ठ आचार्य कहा गया था [अंगुत्तर, १.२४] । इस ग्रंथ के अर्थ के संबंध में जहाँ कहीं शंका उपस्थित होते थी, तब इसीका ही मत अंतिम माना जाता था । इस संबंध में भारुकच्छक एवं कुमार कश्यप की कथाओं का निर्देश बौद्ध साहित्य में पुनः पुनः पाया जाता है [विनय. ३.२९] । राजगृह में हुई बौद्ध सभा में विनयपिटक के अधिकारी व्यक्ति के नाते इसने भाग लिया था [धम्मपद. ३.१४५] । गौतमबुद्ध एवं उपालि के दरम्यान हुए ‘ विनय ’ संबंधित से संवाद पर आधारित ‘ उपालि पंचक ’ नामक एक अध्याय बौद्ध ग्रंथों में प्राप्त है [विनय. ५.१८० - २०६]

उपालि     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
उपालि  m. m.N. of one of बुद्ध's most eminent pupils (mentioned as the first propounder of the Buddhist law and as having been formerly a barber).

उपालि     

उपालिः [upāliḥ]  N. N. of one of the Buddha's most eminent pupils; he was formerly a barber.

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