मातलि n. इंद्र का सारथि । इसकी पत्नी का नाम सुधर्मा था, जिससे इसे गोंमुख नामक पुत्र, गुणकेशी नामक कन्या उत्पन्न हुयी थी
[म.उ.९५.१९-२०] । अपनी कन्या गुणकेशी के लिए सुयोग्य वर खोजने के लिए, यह नारद को साथ लेकर पाताल लोक गया था
[म.उ.,९६.८] । वहॉं नागकुमार सुमुख के साथ इसने अपनी कन्या का विवाह तय किया, एवं नागराज आर्यक को अपने साथ ले कर, यह स्वर्गलोक में इंद्र के पास गया । वहॉं इंद्र से संमति से गुणकेशी एवं सुमुख का विवाह हुआ (गुणकेशी एवं सुमुख देखिये) । रामरावण युद्ध के समय, इन्द्र का रथ ले कर यह श्रीराम की सेवा में उपस्थित हुआ था । इसीके रथ में बैठ कर, श्रीराम ने रावण वध किया था
[म.व.२७४.१३-२७] । पाण्डवों के वनवास के समय, यह इंद्र की आज्ञा से अर्जुन को स्वर्ग में ले जाने के लिए उपस्थित हुआ था
[म.व.४३] ।