भाद्रपद कृष्णपक्ष व्रत - गोगानवमी

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


गोगानवमी

( व्रतोत्सव - यह व्यापक व्रत नहीं है । लोकाचारमें इसका प्राधान्य है । इसके लिये कुम्हारलोग काली मिट्टीकी एक मूर्ति बनाते हैं । वह वीर पुरुषकी होती हैं । उसे भाद्रपद कृष्ण नवमीको प्रातः सदगृहास्थोंके घरोंमें ले जाते हैं और पूजन करवाके ले आते हैं । देखा जाता है कि अधिकांश गृहस्थ उस अश्वारुढ मूर्तिको अपूप और श्रावणीका रक्षासूत्र अर्पण करते हैं ।

N/A

References : N/A
Last Updated : January 21, 2009

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP