श्रावण कृष्णपक्ष व्रत - शीतलासप्तमी

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


शीतलासप्तमी

( हेमाद्रि, भविष्यपुराण ) -

यह व्रत श्रावण कृष्ण सप्तमीको किया जाता है । इसमें मध्याह्नव्यापिनी तिथि ली जाती है । पूजाविधि और स्तोत्रपाठादि चैत्रके समान हैं । कथा यह है कि हस्तिनापुरके राजा इन्द्रद्युम्रकी धर्मशीला नामकी रानीके महाधर्म नामका पुत्र और गुणोत्तमा नामकी पुत्री थी । समयपर पुत्रीका विवाह हुआ । रथारुढ़ होकर पति - पत्नी घर गये । दैवयोगसे रास्तेमें पति अदृश्य हो गये । पतिवियोग मानकर पत्नीने विलाप किया । अन्तमें शीतल उपचारोंसे शीतलादेवीका पूजन करनेसे पतिदेव प्रकट हुए और प्रसन्नचित्तसे घर जाकर सुखपूर्वक जीवन व्यतीत किये ।

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Last Updated : January 20, 2009

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