हिंदी सूची|व्रत|मासिक व्रत परिचय|श्रावणके व्रत|श्रावण कृष्णपक्ष व्रत| अशून्यशयनव्रत श्रावण कृष्णपक्ष व्रत अशून्यशयनव्रत कज्जली तृतीया स्वर्णगौरीव्रत संकष्टचतुर्थी शीतलासप्तमी कुमारीपूजा कृष्णैकादशी अमाव्रत श्रावण कृष्णपक्ष व्रत - अशून्यशयनव्रत व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है । Tags : festivalmonthshravanvratमहिनाव्रतश्रावणसण अशून्यशयनव्रत Translation - भाषांतर अशून्यशयनव्रत ( भविष्यपुराण ) - यह श्रावण कृष्ण द्वितीयासे मार्गशीर्ष कृष्ण द्वितीयापर्यन्त किया जाता है । इसमें पूर्वाविद्धा तिथेली जाती है । यदि दो दिन दो दिन पूर्वविद्धा हो या दोनों दिन न हो तो पराविद्धा लेनी चाहिये । इसमें शेषशय्यापर लक्ष्मीसहित नारायण शयन करते हैं, इसी कारण इसका नाम अशून्यशयन है । यह प्रसिद्ध है कि देवशयनीसे देवप्रबोधिनीतक भगवान शयन करते हैं । साथ ही यह भी प्रसिद्ध है कि इस अवाधिमें देवत सोते हैं और शास्त से यही सिद्ध होता है कि द्वादशीको भगवान, त्रयोदशीके काम, चतुर्दशीको यक्ष, पूर्णिमाको शिव, प्रतिपदाको ब्रह्मा, द्वितीयाको विश्वकर्मा और तृतीयाको उमाका शयन होता है । व्रतीको चाहिये कि श्रावण कृष्ण द्वितीयाको प्रातःस्त्रानादि करके श्रीवत्सचिह्नसे युक्त चार भुजाओंसे भूषित शेषशय्यापर स्थित और लक्ष्मीसहित भगवानका गन्ध - पुष्पादिसे पुजन करे । दिनभर मौर रहे । व्रत रखे और सायंकाल पुनः स्त्रान करके भगवानका शयनोत्सव मनावे । फिर चन्द्रोदय होनेपर अर्घ्यापात्रमें जल, फल, पुष्प और गन्धाक्षत रखकर ' गगनाङ्गणसंदीप क्षीराब्धिमथनोद्भव । भाभासितदिगाभोग रमानुज नमोऽस्तु ते ॥' ( पुराणान्तर ) - इस मन्त्रसे अर्घ्य दे और भगवानको प्रणाम करके भोजन करे । इस प्रकार प्रत्येक कृष्ण द्वितीयाको करके मार्गशीर्ष कृष्ण तृतीयाको उस ॠतुमें होनेवाले ( आम, अमरुद और केले आदि ) मीठे फल सदाचारी ब्राह्मणको दक्षिणासहित दे । करोंदे, नीबू आदि खट्टे तथा इमली, कैरी, नारंगी, अनार आदि स्त्रीनामके फल न दे । इस व्रतसे व्रतीका गृहभंग नहीं होता - दाम्पल्यसुख अखण्ड रहता है । यदि स्त्री करे तो वह सौभाग्यवती होती है । N/A References : N/A Last Updated : January 20, 2009 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP