भजन - मो मन गिरिधरछबिपै अटक्...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


मो मन गिरिधरछबिपै अटक्यौ ।

ललित त्रिभंग चालपै चलिकै,

चिबुक चारु गड़ि ठटक्यौ ॥१॥

सजल स्याम घन बरन लीन ह्वै,

फिर चित अनत न भटक्यौ ।

कृष्णदास किये प्रान निछावर,

यह तन जग सिर पटक्यौ ॥२॥

N/A

References : N/A
Last Updated : December 21, 2007

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP