मेरौ माई माधो सों मन लाग्यौ ।
मेरौ नैन अरु कमलनैनकौ इकठौरौ करि मान्यौ ॥
लोक बेदकी कानि तजी मैं न्यौती अपने आन्यौ ।
इक गोबिन्द चरनके कारन बैर सबनसों ठान्यौ ॥
अबको भिन्न होय मेरी सजनी ! दूध मिल्यौ जैसे पान्यौ ।
परमानंद मिली गिरधर सों है पहली पहचान्यौ ॥