हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|परमानन्ददास| जियकी साधन जिय ही रही... परमानन्ददास ब्रजके बिरही लोग बिचार... कौन रसिक है इन बातन ... जियकी साधन जिय ही रही... जसौदा तेरे भागकी कही ... मेरौ माई माधो सों मन ... भजन - जियकी साधन जिय ही रही... हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है। Tags : bhajanparmananddasपरमानन्ददासभजन सारंग Translation - भाषांतर जियकी साधन जिय ही रही री । बहुरि गोपाल देखि नहिं पाये बिलपत कुंज अही री ॥ एक दिन सोंज समीप यहि मारग बेचन जात दही री । प्रीतके लएँ दानमिस मोहन मेरी बाँह गही री ॥ बिन देखे घड़ि जात कलप सम बिरहा अनल दही री । परमानंद स्वामि बिनु दरसन नैनन नीर बही री ॥ N/A References : N/A Last Updated : December 21, 2007 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP