हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|रैदास|भजन संग्रह १| पार गया चाहै सब कोई । रह... भजन संग्रह १ गाइ गाइ अब का कहि गाऊँ । ... ऐसो कछु अनुभव कहत न आवै ।... जब रामनाम कहि गावैगा , तब... रामा हो जगजीवन मोरा । तू... अब हम खूब वतन घर पाया । ... राम मैं पूजा कहा चढ़ाऊँ । ... देहु कलाली एक पियाला । ऐ... पार गया चाहै सब कोई । रह... यह अंदेस सोच जिय मेरे । ... जो तुम तोरौ राम मैं नाहिं... सो कहा जानै पीर पराई । ज... आज दिवस लेऊँ बलिहारा । म... कवन भगितते रहै प्यारो पाह... अब कैसे छुटै नाम रट लागी ... भजन - पार गया चाहै सब कोई । रह... हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है। Tags : bhajanraidasभजनरैदास भजन Translation - भाषांतर पार गया चाहै सब कोई । रहि उर वार पार नहिं होई ॥टेक॥ पार कहै उर वारसे पारा । बिन पद-परचे भ्रमै गँवार ॥१॥ पार परम पद मंझ मुरारी । तामें आप रमै बनवारी ॥२॥ पूरन ब्रह्म बसै सब ठाई । कह रैदास मिलै सुख साई ॥३॥ N/A References : N/A Last Updated : December 20, 2007 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP