हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|अनुवादीत साहित्य|दासबोध हिन्दी अनुवाद|स्तवणनाम| समास सातवा कवीश्वरस्तवननाम स्तवणनाम समास पहला मंगलाचरण समास दूसरा गणेशस्तवननाम समास तीसरा शारदास्तवननाम सद्गुरुस्तवननाम समास पांचवा संतस्तवननाम समास छठवां श्रोतेस्तवननाम समास सातवा कवीश्वरस्तवननाम समास आठवां सभास्तवननाम समास नववां परमार्थस्तवननाम समास दसवां नरदेहस्तवननिरूपणनाम समास सातवा कवीश्वरस्तवननाम ‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन समर्थ रामदास लिखीत दासबोध में है । Tags : dasbodhramdasदासबोधरामदास समास सातवा कवीश्वरस्तवननाम Translation - भाषांतर ॥ श्रीरामसमर्थ ॥ अब वंदन करू कवीश्वर । जो शब्द सृष्टि के ईश्वर । अथवा ये परमेश्वर । वेदावतारी ॥१॥ अथवा ये सरस्वती का निजस्थान । या ये नाना कलाओं का जीवन । नाना शब्दों के भवन । यथार्थ है ये ॥२॥ या ये पुरुषार्थ का वैभव या ये जगदीशश्वर के महत्त्व । नाना कौशल से सत्कीर्तिस्तव । निर्माण कवि ॥३॥ या ये शब्दरत्नों के सागर । या ये मुक्तजनों के मुक्त सरोवर । नाना बुद्धि के वैरागर । निर्माण हुये ॥४॥ अध्यात्म ग्रंथ की खानि । अथवा ये बोलते चिंतामणि । नाना कामधेनुओं की दोहनी । मिले श्रोताओं को ॥५॥ अथवा ये कल्पतरु कल्पना के । या ये मुख्याधार मोक्ष के । नाना विस्तार सायुज्यता के । विस्तारित हुये ॥६॥ अथवा ये परलोक के निजस्वार्थ । या ये योगियों का गुप्त पंथ । नाना ज्ञानीजनों का परमार्थ । रूप में आये ॥७॥अथवा ये चिन्ह निरंजन की । या ये पहचान निर्गुण की । लक्षण मायाविलक्षणों के । वह ये कवि ॥८॥ अथवा ये श्रुति का भावगर्भ । या ये परमेश्वर का अलभ्य लाभ । या फिर हो सुलभ । निजबोध कविरूप में ॥९॥ कवि मुमुक्षु का अंजन । कवि साधकों का साधन । कवि सिद्धों का समाधान । निश्चयात्मक ॥१०॥कवि स्वधर्म का आश्रय । कवि मन का मनोजय । कवि धार्मिक का विनय । विनयकर्ते ॥११॥ कवि वैराग्य के संरक्षण । कवि भक्तों के भूषण । नाना स्वधर्मरक्षण । वह ये कवि ॥१२॥ कवि स्नेहालुओं की स्नेहालु स्थिति । कवि ध्यानस्थों की ध्यानमूर्ति । कवि उपासकों की बढ़ती कीर्ति । विस्तारित हुई ॥१३॥ नाना साधनों का मूल कवि नाना प्रयत्नों के फल । नाना कार्यसिद्धि केवल । कवि के ही प्रसाद से ॥१४॥पहले कवि का वाग्विलास । तभी तो श्रवण में भरता रस । कवि से ही मतिप्रकाश । कवित्व को मिलता ॥१५॥ कवि व्युत्पन्न की योग्यता । कवि सामर्थ्यवंतों की सत्ता । कवि विचक्षण की कुशलता । नाना प्रकार से ॥१६॥ कवि कवित्व का प्रबंध । कवि नाना शैली मुद्रा छंद । कवि गद्य पद्य भेदाभेद । पदप्रासकर्ता ॥१७॥ कवि सृष्टि का अलंकार । कवि लक्ष्मी का श्रृंगार । सकल सिद्धियों का निर्धार । वह ये कवि ॥१८॥ कवि सभा के मंडन । कवि भाग्य का भूषण । नाना सुखों के संरक्षण । वह ये कवि ॥१९॥ कवि देवों के रूप कर्ता । कवि ऋषियों के महत्त्व वर्णनकर्ता । सामर्थ्य नाना शास्त्रों का । कवि बखानते ॥२०॥ न होता अगर कवियों का व्यापार । तो कैसा होता जगोद्धार । इस कारण कवि ये आधार । सकल सृष्टि के ॥२१॥ नाना विद्या ज्ञातृत्व कुछ भी । कवेश्वर के बिना तो नहीं । कवि के पास से सर्व ही । सर्वज्ञता ॥२२॥पहले वाल्मीक व्यासादिक । हुये कवेश्वर अनेक । उनके पास से विवेक । सकल जनों को ॥२३॥पहले काव्य रचना किये । तभी तो व्युत्पत्ति प्राप्त हुये । जिससे पंडितों में सदृढ हुई । परम योग्यता ॥२४॥ पहले महान महान ऐसे । कवेश्वर हुये बहुत से । अब है आगे होगे । नमन उन्हें ॥२५॥ नाना चातुर्यों की मूर्ति । या ये साक्षात् बृहस्पति । बोलेंगे कहते वेदश्रुति । जिनके मुख से ॥२६॥परोपकार के कारण । नाना निश्चयों का अनुवादन । अंत तक करते पूर्ण कथन । संशयातीत ॥२७॥या ये अमृत के मेघ बरसे । अथवा नवरस के झरने बहते । नाना सुखों के उफनते । सरोवर यह ॥२८॥ अथवा विवेकनिधि के भंडार ये । प्रकट मनुष्याकार में हुये । नाना वस्तु के विचार से । भरे आकंठ ॥२९॥ अथवा यह आदिशक्ति के धरोहर । नाना पदार्थों में लाये निम्न स्तर । मिले पूर्व संचित गुणों के आधार पर । विश्वजनों को ॥३०॥ अथवा यह सुख की नहवें लोटती । अक्षय आनंद में उतावली । विश्व जनों के उपयोग आती । नाना प्रयोग कारण ॥३१॥ अथवा ये निरंजन की संपत्ति । या यह विराट की योगस्थिति । अन्यथा भक्ति की फलश्रुति । फलने लगी ॥३२॥ या यह ईश्वर का गुणगान । देखो तो गगन से भी महान् । ब्रह्मांड रचना से भी बलवान । कविप्रबंधरचना ॥३३॥ अब रहने दो यह विचार । जग को आधार कवेश्वर । उन्हें मेरा नमस्कार । साष्टाग भाव से ॥३४॥इति श्रीदासबोधे गुरुशिष्यसंवादे कवीश्वरस्तवननाम समास सातवां ॥७॥ N/A References : N/A Last Updated : February 13, 2025 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP