मंत्रों का नाम - ॥ समास पांचवां - बहुधाज्ञाननाम ॥

‘संसार-प्रपंच-परमार्थ’ का अचूक एवं यथार्थ मार्गदर्शन इस में है ।


॥ श्रीरामसमर्थ ॥
जबतक वह ज्ञान नहीं प्रांजल । तबतक सभी कुछ निर्फल । ज्ञानरहित तलमल । जायेगी नहीं ॥१॥
ज्ञान कहते ही होता भ्रम । क्या होगा रे उसका मर्म । इस कारण अनुक्रम । अब कहा जाता ॥२॥
भूत भविष्य वर्तमान । ज्ञात है परिछिन्न । इसे भी कहते ज्ञान । मगर यह ज्ञान नहीं ॥३॥
बहुत किया विद्या पठन । संगीतशास्त्र रागज्ञान । वैदिक शास्त्र वेदाध्ययन । यह भी ज्ञान नहीं ॥४॥
नाना व्यवसाओं का ज्ञान । नाना दीक्षाओं का ज्ञान । नाना परीक्षाओं का ज्ञान । यह ज्ञान नहीं ॥५॥
नाना वनिताओं की परीक्षा । नाना सरिताओं की परीक्षा । नाना मनुष्यों की परीक्षा । यह ज्ञान नहीं ॥६॥
नाना अश्वों की परीक्षा । नाना गजों की परीक्षा । नाना श्वापदों की परीक्षा । यह ज्ञान नहीं ॥७॥
नाना पशुओं की परीक्षा । नाना पक्षियों की परीक्षा । नाना भूतों की परीक्षा । यह ज्ञान नहीं ॥८॥
नाना यानों की परीक्षा । नाना वस्त्रों की परीक्षा । नाना शस्त्रों की परीक्षा । यह ज्ञान नहीं ॥९॥
नाना धातुओं की परीक्षा । नाना सिक्कों की परीक्षा । नाना रत्नों की परीक्षा । यह ज्ञान नहीं ॥१०॥
नाना पाषाणपरीक्षा । नाना काष्ठों की परीक्षा । नाना वाद्यों की परीक्षा । यह ज्ञान नहीं ॥११॥
नाना भूमि की परीक्षा । नाना जलों की परीक्षा । नाना सतेज परीक्षा । यह ज्ञान नहीं ॥१२॥
नाना रसों की परीक्षा । नाना बीजों की परीक्षा । नाना अंकुरपरीक्षा । यह ज्ञान नहीं ॥१३॥
नाना पुष्पों की परीक्षा । नाना फलों की परीक्षा । नाना वल्लरियों की परीक्षा । यह ज्ञान नहीं ॥१४॥
नाना दुःखों की परीक्षा । नाना रोगों की परीक्षा । नाना चिन्हों की परीक्षा । यह ज्ञान नहीं ॥१५॥
नाना मंत्रों की परीक्षा । नाना यंत्रों की परीक्षा । नाना मुहूर्तों की परीक्षा । यह ज्ञान नहीं ॥१६॥
नाना क्षेत्रों की परीक्षा । नाना गृहों की परीक्षा । नाना पात्रों की परीक्षा । यह ज्ञान नहीं ॥१७॥
नाना होनी की परीक्षा । नाना समयों की परीक्षा । नाना तर्कों की परीक्षा । यह ज्ञान नहीं ॥१८॥
नाना अनुमानपरीक्षा । नाना नियमित परीक्षा । नानाप्रकार की परीक्षा । यह ज्ञान नहीं ॥१९॥
नाना विद्याओं की परीक्षा । नाना कलाओं की परीक्षा । नाना चातुर्यपरीक्षा । यह ज्ञान नहीं ॥२०॥
नाना शब्दों की परीक्षा । नाना अर्थों की परीक्षा । नाना भाषाओं की परीक्षा । यह ज्ञान नहीं ॥२१॥
नाना स्वरों की परीक्षा । नाना वर्णों की परीक्षा । नाना लेखन परीक्षा । यह ज्ञान नहीं ॥२२॥
नाना मतों की परीक्षा । नाना ज्ञानों की परीक्षा । नाना वृत्तिओं की परीक्षा । यह ज्ञान नहीं ॥२३॥
नाना रूपों की परीक्षा । नाना रसनाओं की परीक्षा । नाना सुगंधपरीक्षा । यह ज्ञान नहीं ॥२४॥
नाना सृष्टिओं की परीक्षा । नाना विस्तारपरीक्षा । नाना पदार्थ परीक्षा । यह ज्ञान नहीं ॥२५॥
सुनिश्चित ही बोलना । तत्काल ही प्रत्युत्तर देना । शीघ्र ही कवित्व करना । यह ज्ञान नहीं ॥२६॥
नेत्रपल्लवी नादकला । करपल्लवी भेदकला । स्वरपल्लवी संकेतकला । यह ज्ञान नहीं ॥२७॥
काव्यकुशल संगीतकला । गीत प्रबंध नृत्यकला । सभाचातुर्य शब्दकला । यह ज्ञान नहीं ॥२८॥
वाग्विलास मोहनकला । रम्य रसाल गायनकला । हास्य विनोद कामकला । यह ज्ञान नहीं ॥२९॥
नाना लाघव चित्रकला । नाना वाद्य संगीतकला । नाना प्रकार की विचित्र कला । यह ज्ञान नहीं ॥३०॥
आदि से लेकर चौंसठ कला । इनसे भी अलग नाना कला । चौदह विद्या सिद्धि सकल । यह ज्ञान नहीं ॥३१॥
अस्तु सकलकलाप्रवीण । विद्यामात्र परिपूर्ण । फिर भी वह कौशल परंतु उसे ज्ञान । कहें ही नहीं ॥३२॥
यह ज्ञान है ऐसा भास होता । परंतु मुख्य ज्ञान तो अलग ही होता । जहां प्रकृति का भ्रम होता । समूल नष्ट ॥३३॥
दुसरों के जी की बात जानता । यह ज्ञान सच लगता । परंतु यह आत्मज्ञान का । लक्षण नहीं ॥ ३४॥
महानुभाव महाभला । मानसपूजा करते चूका । किसी एक ने पुकारकर कहा । ऐसी नहीं करते ॥३५॥
ऐसी जाने अंतरस्थिति । उसे कहते परम ज्ञाता की स्थिति । मगर जिससे मोक्ष प्राप्ति । वह ये ज्ञान नहीं ॥३६॥
बहुत प्रकार के ज्ञान । कहने में असाधारण । सायुज्य प्राप्ति होती जिस कारण । वह ज्ञान अलग ॥३७॥
फिर वह कैसा है ज्ञान । समाधान के लक्षण । वे सब विस्तार से कथन । मुझे निरूपित करें ॥३८॥
ऐसा पूछा जो शुद्ध ज्ञान । उसका किया अगले समास में निरूपण । श्रोताओं ने ध्यान । देना चाहिये आगे ॥३९॥
इति श्रीदासबोधे गुरुशिष्यसंवादे बहुधाज्ञाननाम समास पांचवां ॥५॥

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Last Updated : December 01, 2023

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