हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|अनुवादीत साहित्य|रामदासकृत हिन्दी मनके श्लोक|नवविधाभक्तिनाम| ॥ समास छठवां - वंदनभक्तिनाम ॥ नवविधाभक्तिनाम अनुक्रमणिका ॥ समास पहला - श्रवणभक्तिनिरूपणनाम ॥ ॥ समास दूसरा - कीर्तनभजननिरूपणनाम ॥ ॥ समास तीसरा - नामस्मरणभक्तिनाम ॥ ॥ समास चौथा - पादसेवनभक्तिनिरुपणनाम ॥ ॥ समास पांचवां - अर्चनभक्तिनाम ॥ ॥ समास छठवां - वंदनभक्तिनाम ॥ ॥ समास सातवां - दास्यभक्तिनिरुपणनाम ॥ ॥ समास आठवां - सख्यभक्तिनिरुपणनाम ॥ ॥ समास नववां - आत्मनिवेदनभक्तिनाम ॥ ॥ समास दसवां - मुक्तिचतुष्टये नाम ॥ नवविधाभक्तिनाम - ॥ समास छठवां - वंदनभक्तिनाम ॥ ‘हरिकथा’ ब्रह्मांड को भेदकर पार ले जाने की क्षमता इसमें है । Tags : hindimanache shlokramdasमनाचे श्लोकरामदासहिन्दी ॥ समास छठवां - वंदनभक्तिनाम ॥ Translation - भाषांतर ॥ श्रीरामसमर्थ ॥ पीछे हुआ निरुपण । पांचवीं भक्ति के लक्षण । अब सुनो हो सावधान । छठवीं भक्ति ॥१॥ छठवीं भक्ति है वंदन । करें ईश्वर को नमन । संत साधु और सज्जन । को नमस्कार करते जायें ॥२॥ सूर्य को करें नमस्कार । देव को करें नमस्कार । सद्गुरु को करें नमस्कार । साष्टांग भाव से ॥३॥ साष्टांग नमस्कार का अधिकार । नाना प्रतिमा देव गुरुवर । अन्यत्र नमन का विचार । अधिकारानुसार करें ॥४॥छप्पन कोटि वसुमति । उस में रहतें विष्णुमूर्ति । उन्हें करें सप्रीति । साष्टांग नमस्कार ॥५॥ पशुपति श्रीपति और गभस्ति । इनके दर्शन से दोष जाते । वैसे ही नमन करें मारुति । को नित्यनेम से विशेष ॥६॥॥ श्लोक ॥ शंकरः शेषशायी च मार्तंडो मारुतिस्तथा । एतेषां दर्शनं पुण्य नित्यनेमे विशेषतः ॥ छ ॥भक्त ज्ञानी और वीतरागी । महानुभाव तपस्वी योगी । सत्पात्र देखकर तत्काल ही । नमस्कार करें ॥७॥ वेदज्ञ शास्त्रज्ञ और सर्वज्ञ । पंडित पुराणिक और विद्वज्जन । याज्ञिक वैदिक पवित्रजन । को नमस्कार करते जायें ॥८॥ जहां दिखते विशेष गुण । वह सद्गुरु का, अधिष्ठान । इस कारण उसे नमन । अत्यादर से करें ॥९॥ गणेश शारदा नाना शक्ति । हरिहरकी अवतार मूर्ति । नाना देवों की क्या करे गिनती । पृथकाकारे ॥१०॥ सर्व देवों को नमस्कार किया । वह एक परमेश्वर को प्राप्त हुआ । एतदर्थ एक वचन कहा गया । वह सुनो ॥११॥॥ श्लोक ॥ आकाशात्पतितं तोयं यथा गच्छति सागरं । सर्वदेवनमस्कारः केशवं प्रतिगच्छति ॥सर्व देवों को इस कारण । करें अत्यादर से नमन । देव को मानने पर अधिष्ठान । परम सुख मिलता ॥१२॥ देव देवों के अधिष्ठान । सत्पात्रों में सद्गुरु का स्थान । करें नमस्कार इस कारण । दोनों को ॥१३॥ नमस्कार से आती लीनता । नमस्कार से विकल्प टूटता । नमस्कार से होती सख्यता । नाना सत्पात्रों से ॥१४॥नमस्कार से दोष जाते । नमस्कार से अन्याय क्षम्य होते । नमस्कार से टूटे हुये जुड़ते । समाधान पाकर ॥१५॥शीश से बढकर नहीं दंड । ऐसे बोलते उदंड । इस कारण अखंड । देव भक्त वंदन करें ॥ १६॥ नमस्कार से कृपा उपजती । नमस्कार से प्रसन्नता प्रबल होती । नमस्कार से गुरुदेव की कृपा होती । साधकों पर ॥१७॥ निःशेष करने पर नमस्कार । नष्ट होते दोषों के गिरिवर । और मुख्य परमेश्वर । कृपा करते ॥१८॥ नमस्कार से पतित पावन । नमस्कार से सतों की शरण । नमस्कार से जन्म मरण । की दूरी और दूर होती ॥१९॥परम अन्याय कर आया । और साष्टांग नमस्कार किया । तो फिर उस अन्याय को क्षमा किया । जायें श्रेष्ठों द्वारा ॥२०॥ इस कारण नमस्कार समान । नहीं अनुसरणीय अन्य । प्राणिमात्रों को करते ही नमन । सद्बुद्धि प्राप्त होती ॥२१॥नमस्कार को कुछ खर्च ना लगे । नमस्कार को कष्ट लेना न लगे । नमस्कार को कुछ भी ना लगे । उपकरण सामग्री ॥२२॥ नहीं सरल कुछ नमस्कार जैसे । करें नमस्कार अनन्य रूपसे । नाना साधनों के साक्षेप से । क्यों थकें ॥२३॥ साधक भाव से नमस्कार करे । उसकी चिंता साधु को लगे । सुगम पंथ से ले जाकर डाले । जहां का वहां ॥२४॥ इस कारण नमस्कार श्रेष्ठ । नमस्कार से प्रसन्न होते वरिष्ठ । यहां कथन की स्पष्ट । छठवीं भक्ति ॥२५॥ इति श्रीदासबोधे गुरुशिष्यसंवादे वंदनभक्तिनाम समास छठवां ॥६॥ N/A References : N/A Last Updated : November 30, 2023 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP