पौष कृष्णपक्ष व्रत - सुरुपद्वादशी

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


सुरुपद्वादशी

( व्रतार्क ) - पौष कृष्ण पुष्पयुक्त द्वादशीके पहले दिन रात्रिमें जितेन्द्रिय होकर विष्णुका ध्यान करे और सफेद गौके छतपर सुखाये हुए गोबरकी आगमें घृतादियुक्त तिलोंकी १०८ आहुतिका हवन करे । दूसरे दिन द्वादशीको नदी या तालाब आदिपर स्त्रान करके भगवानकी सुवर्णमयी मूर्तिको तिलपूर्ण पात्रमें रखकर गन्धादिसे पूजन करे और तिल, फल आदिका भोग लगाकर ' नमः परमशान्ताय विरुपाक्ष नमोऽस्तु ते ' से अर्घ्य दे तथा विद्वान् ब्राह्मणको भोजन करवाकर उक्त मूर्ति उन्हें दान कर दे ।

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Last Updated : January 01, 2002

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