हिंदी सूची|पूजा एवं विधी|नित्य कर्म पूजा|पञ्चमहायज्ञ|तर्पण ( पितृयज्ञ )| सूर्यके बारह नमस्कार तर्पण ( पितृयज्ञ ) तर्पण ( पितृयज्ञ ) तर्पण-प्रयोग-विधि देव-तर्पण-विधि ऋषि-तर्पण दिव्य मनुष्य-तर्पण दिव्य पितृ-तर्पण यम-तर्पण मनुष्य पितृ-तर्पण व्दितीय गोत्र-तर्पण पत्न्यादितर्पण वस्त्र-निष्पीडन भीष्मतर्पण सूर्यको अर्घ्यदान समर्पण सूर्यके बारह नमस्कार नित्य-दान सूर्यके बारह नमस्कार प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे. Tags : devatadevipoojaदेवतादेवीपूजा सूर्यके बारह नमस्कार Translation - भाषांतर सूर्यके बारह नमस्कारसूर्यकी पूजा एवं वन्दना भी नित्यकर्ममें आती है । शास्त्रमें इसका बहुत महत्व बतलाया गया है । दूध देनेवाली एक लाख गायोंके दानका जो फ़ल होता है, उससे भी बढकर फ़ल एक दिनकी सूर्यपूजासे होता है । पूजाकी तरह सूर्यके नमस्कारोंका भी महत्व है । सूर्यके बारह नामोंके द्वारा होनेवाले बारह नमस्कारोंकी विधी यहाँ दी जाती है । प्रणामोंमें साष्टांग प्रणामका अधिक महत्व माना गया है । यह अधिक उपयोगी है । इससे शारीरिक व्यायाम भी हो जाता है । भगवान् सूर्यके एक नामका उच्चारण कर दण्डवत् करे । फ़िर उठकर दुसरा नाम बोलकर दुसरा दण्डवत् करे । इस तरह बारह साष्टान्ड प्रणाम हो जाते है । शीघ्रता न करे, भक्ति-भावसे करे ।एतदर्थ प्रथम सूर्यमण्डलमें सौन्दर्यराशी भगवान् नारायणका ध्यान करना चाहिये । भावनासें दोनों हाथ भगवान के सुकोमल चरणोंका स्पर्श करते हो, ललाट भी उसी सुखस्पर्शमें केन्द्रित हो और आँखे उनके सौन्दर्य पानमें मत्त हो।संकल्प-ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: अद्य......अहं श्रीपरमात्मप्रीत्यर्थमादित्यस्य व्दादशनमस्काराख्यं कर्म करिष्ये।संकल्पके बाद अञ्जलिमें या ताम्रपात्रमें लाल चन्दन, अक्षता, फ़ुल डालकर हाथोंको ह्र्दयके पास लाकर निम्नलिखित मन्त्रसे सूर्यको अर्घ्य दे -एहि सूर्य ! सहस्त्रांशो ! तेजोराशे ! जगत्पते ! अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर ! अब सूर्यमण्डलमें स्थित भगवान् नारायणका ध्यान करे -ध्येय: सदा सवितृमण्डलमध्यवर्तीनारायण: सरसिजासनसंनिविष्ट: ।केयूरवान् मकरकुण्डलवान् किरीटीहारी हिरण्मयवपुर्धृतशड्खचक्र: ॥अब उपर्युक्त विधीसे ध्यान करते हुए निम्नलिखित नाम-मन्त्रोंसे भगवान सूर्यको साष्टान्ग प्रणाम करे -१. ॐ मित्राय नम: । २. ॐ रवये नम: ।३. ॐ सूर्याय नम: ।४. ॐ भानवे नम: ।५. ॐ खगाय नम: ।६. ॐ पूष्णे नम: ।७. ॐ हिरण्यगर्भाय नम: ।८.ॐ मरीचये नम: ।९. ॐ आदित्याय नम: ।१०. ॐ सवित्रे नम: ।११. ॐ अर्काय नम: ।१२. ॐ भास्कराय नमो नम: ।इसके बाद सूर्यके सारथि अरुणको अरुणको अर्घ्य दे -विनतातनयो देव: कर्मसाक्षी सूरेश्वर: ।सप्ताश्व: सप्तरज्जुश्च अरुणो मे प्रसीदतु ॥ॐ कर्मसाक्षिणे अरुणाय नम: ।आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने ।जन्मान्तरसहस्त्रेषु दारिद्र्यं नोपजायते ॥इसके बाद सूर्यार्घ्यका जल मस्तक और आँखोंमे लगाये तथा कुछ चरणामृत निम्नलिखित मन्त्रसे पी ले -अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम् ।सूर्यपादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम् ॥ॐ तत्सत् कृतमिदं कर्म ब्रह्मार्पणमस्तु । विष्णवे नम: , विष्णवे नम: विष्णवे नम: । N/A References : N/A Last Updated : December 02, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP