पञ्चमहायज्ञ - पाँच स्थल

प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.


गृहस्थके घरमें पाँच स्थल ऐसे है, जहाँ प्रतिदिन न चाहनेपर भी जीव हिंसा होनेकी सम्भावना रहती है। चूल्हा (अग्नि जलानेमें), चक्की (पीसनेमें), बुहारी (बुहारनेमें) ऊखल (कूटनेमें) , जल रखनेके स्थान (जलपात्र रखनेपर नीचे जीवोंके दबने) से जो पाप होते है, उन पापोंसे मुक्त होनेके लिये ब्रह्मयज्ञ- वेद-वेदांदि तथा पुराणादि आर्षग्रन्थोंका स्वाध्याय, पितृयज्ञ-श्राध्द् तथा तर्पण, देवयज्ञ-देवताओका पुजन एवं हवन, भूतयज्ञ-बलीवैश्वदेव तथा पञ्चबली, मनुष्ययज्ञ-अतिथि सत्कार- इन पाँचों यज्ञोंको प्रतिदिन अवश्य करना चाहिये।

पञ्च सूना गृहस्थस्य चुल्ली पेषण्युपस्कर:।
कण्डनी चोदकुम्भश्च बध्यते यास्तु वाहयन्॥
तासां क्रमेण सर्वासां निष्कृत्यर्थ महर्षिभि:।
पञ्च क्लृप्ता महायज्ञा: प्रत्यहं गृहमेधिनाम्॥
अध्यापनं ब्रह्मयज्ञ: पितृयज्ञस्तु तर्पणम्।
होमो दैवो बलिर्भौतो नृयज्ञोऽतिथिअपूजनम्॥

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Last Updated : December 02, 2018

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