हिंदी सूची|व्रत|मासिक व्रत परिचय|ज्येष्ठके व्रत|ज्येष्ठ कृष्णपक्ष व्रत| संकष्टचतुर्थीव्रत ज्येष्ठ कृष्णपक्ष व्रत संकष्टचतुर्थीव्रत कृष्णैकादशीव्रत वटसावित्रीव्रत ज्येष्ठ कृष्णपक्ष व्रत - संकष्टचतुर्थीव्रत व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है । Tags : festivaljyeshthamonthvratज्येष्ठमहिनाव्रतसण संकष्टचतुर्थीव्रत Translation - भाषांतर संकष्टचतुर्थीव्रत ( भविष्योत्तर ) - ज्येष्ठकृष्णा चतुर्थीको, जे चन्द्रोदयतक रहनेवाली हो, प्रातःस्त्रानादि नित्यकर्म करके व्रतके संकल्पसे दिनभर मौन रहे । सायंकालमें पुनः स्त्रान करके गणेशजीका और चन्द्रोदय होनेपर चन्द्रमाका पूजन करे तथा शङ्खमें दूध, दूर्वा, सुपारी और गन्धाक्षत लेकर ' ज्योत्स्त्रापते नमस्तुभ्यं नमस्ते ज्योतिषां पते । नमस्ते रोहिणीकान्त गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तु ते ॥' इस मन्त्नसे चन्द्रमाको, ' गौरीसुत नमस्तेऽस्तु सततं मोदकप्रिय । सर्वसंकटनाशाय गृहाणार्य नमोऽस्तु ते ॥' इस मन्त्रसे गणेशजीको और ' तिथीनामुत्तमे देवि गणेशप्रियवल्लभे । गृहाणार्घ्य मया दत्तं सर्वसिद्धिप्रदायिके ॥' इस मन्त्रसे चतुर्थीको अर्घ्य दे तथा वायन दान करके भोजन करे । N/A References : N/A Last Updated : January 17, 2009 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP