था जिसकी खातिर नाच किया, जब मूरत उसकी आय गई ।
कहौं आप कहा, कहीं नाच कहा,औ तान कहीं लहराय गई ॥
जब छैल-छबीले सुंदरकी, छबि नैनों भीतर छाय गई ।
एक मुरछा-गत-सी आय गई, और जोतमें जोत समाय गई ॥
है राग उन्हींके रंग-भरे, औ भाव उन्हींके साँचे है ।
जो बे-गत बे-सुरताल हुए, बिन ताल पखावज नाचे है ॥