भजन - था जिसकी खातिर नाच किया ,...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


था जिसकी खातिर नाच किया, जब मूरत उसकी आय गई ।

कहौं आप कहा, कहीं नाच कहा,औ तान कहीं लहराय गई ॥

जब छैल-छबीले सुंदरकी, छबि नैनों भीतर छाय गई ।

एक मुरछा-गत-सी आय गई, और जोतमें जोत समाय गई ॥

है राग उन्हींके रंग-भरे, औ भाव उन्हींके साँचे है ।

जो बे-गत बे-सुरताल हुए, बिन ताल पखावज नाचे है ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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