तू न तजत सब तोहि तजेंगे ।
जा हित जग जंजाल उठावत तोकहँ छाँड़ि भजेंगे ॥
जाकहँ करत पियार प्राणसम जो तोहि प्राण कहेंगे ।
सोऊ तोकहँ मरयो जानिकै देखत देह डरेंगे ॥
देह गेह अरु नेह नाहते नातो नहिं बिनहेंगे ।
जा बस है निज जन्म गँवावत कोउ न संग रहेंगे ॥
कोऊ सुख जग दुःख-बिहीन नहिं कोउ संग करेंगे ।
रामप्रिया बिनु रामललाके भव भय कोउ न हरेंगे ॥