भजन - तू न तजत सब तोहि तजेंगे ।...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


तू न तजत सब तोहि तजेंगे ।

जा हित जग जंजाल उठावत तोकहँ छाँड़ि भजेंगे ॥

जाकहँ करत पियार प्राणसम जो तोहि प्राण कहेंगे ।

सोऊ तोकहँ मरयो जानिकै देखत देह डरेंगे ॥

देह गेह अरु नेह नाहते नातो नहिं बिनहेंगे ।

जा बस है निज जन्म गँवावत कोउ न संग रहेंगे ॥

कोऊ सुख जग दुःख-बिहीन नहिं कोउ संग करेंगे ।

रामप्रिया बिनु रामललाके भव भय कोउ न हरेंगे ॥

N/A

References : N/A
Last Updated : December 23, 2007

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP