हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|रसिकबिहारी| हो झालौ दे छे रसिया नागर ... रसिकबिहारी रतनारी हो थारी आँखड़ियाँ ... हो झालौ दे छे रसिया नागर ... पावस रितु बृन्दावनकी दुति... उड़ि गुलाल घूँघर भई तनि रह... मैं अपनौ मनभावन लीनों ॥ ... भजन - हो झालौ दे छे रसिया नागर ... हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है। Tags : bhajanrasikbihariभजनरसिकबिहारी भजन Translation - भाषांतर हो झालौ दे छे रसिया नागर पनाँ । साराँ देखे लाज मराँ छाँ आवाँ किण जतनाँ ॥ छैल अनोखो कह्यो न मानै लोभी रूप सनाँ । रसिक बिहारी नणद बुरी छै हो लाग्यो म्हारो मनाँ ॥ N/A References : N/A Last Updated : December 23, 2007 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP