भजन - मदनगुपाल, सरन तेरी आयौ । ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


मदनगुपाल, सरन तेरी आयौ ।

चरनकमलकी सरन दीजिये, चेरौ करि राखौ घर जायौ ॥१॥

धनि-धनि-मात-पिता सुत-बंधू, धनि जननी जिन गोद खिलायौ ।

धनि-धनि चरन चलत तीरथकौं, धनि गुरुजन हरिनाम सुनायौ ॥२॥

जे नर बिमुख भये गोबिंदसों, जनम अनेक महादुख पायौ ।

श्रीभटके प्रभु दियौ अभय पद, जन डरप्यौ जब दास कहायौ ॥३॥

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Last Updated : December 21, 2007

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