सुजन्मद्वादशी
( वीरमित्रोदय ) - यदि पौष शुक्ल द्वादशीको ज्येष्ठा नक्षत्र हो तो उस दिन भगवानका पूजन करके घीका दान करे, गोमूत्र पीकर उपवास करे और आगे माघादि महीनोंमें नियत वस्तुका दान और भोजन करके उपवास करे । जैसे माघमें चावलदान, जल - प्राशनः फाल्गुनमें जौदान, घृतभोजन; चैत्रमें सुवर्णदान, सुपक्क शाकभोजन; वैशाखमें जौदान, दूर्वाभोजन; ज्येष्ठमें जलदान, दधि - भोजन; आषाढ़में सोना, अन्न और जलदान, भात - भोजन; श्रावणमें छत्रदान, जौभोजन; भादोंमें दूधदान, तिलभोजन; आश्विनमें अन्नदान, सूर्यकिरणोंसे तपाये हुए जलका भोजन; कार्तिकमें गुड़ - फांटदान, दूधभोजन और मार्गशीर्षमें मलयागिरिचन्दनका दान और दूधका भोजन कर उपवास करे तो कुलमें प्रधानता और घरमें सम्पत्ति होती है ।