गायत्री-मन्त्रका विनियोग
प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.
गायत्री-मन्त्रका विनियोग-
इसके बाद गायत्री-मन्त्रके जपके लिये विनियोग पढे-
ॐकारस्य ब्रह्मा ऋषिर्गायत्री छन्द: परमात्मा देवता, ॐ भुर्भुव: स्वरिति महाव्याह्र्तीनां परमेष्ठी प्रजापति-ऋषिर्गायत्र्युष्णिगनुष्टुभश्छन्दांसि अग्निवायुसूर्या देवता: , ॐ तत्सवितुरित्यस्य विश्वामित्रऋषिर्गायत्री छन्द: सविता देवता जपे विनियोग:।
इसके पश्चात गायत्री-मन्त्रका १०८ बार जप करे। १०८ बार न हो तो कम-से-कम १० बार अवश्य जप किया जाय। संध्यामें गायत्री मन्त्रका करमालापर जप अच्छा माना जाता है, गायत्री मन्त्रका २४ लक्ष जप करनेसे एक पुरश्चरण होता है। जपके लिये सब मालाओमें रुद्राक्षकी माला श्रेष्ठ है।
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Last Updated : November 27, 2018
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