हिंदी सूची|पूजा एवं विधी|नित्य कर्म पूजा|संध्या-प्रकरण|गायत्री-जपका विधान| गायत्रीदेवीका उपस्थान (प्रणाम गायत्री-जपका विधान षडडन्यास प्रात:काल ब्रम्हरुपा गायत्रीमाताका ध्यान गायत्रीका आवाहन गायत्रीदेवीका उपस्थान (प्रणाम गायत्रीदेवीका उपस्थान (प्रणाम प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे. Tags : devatadevipoojaदेवतादेवीपूजा गायत्रीदेवीका उपस्थान (प्रणाम Translation - भाषांतर आवाहन करनेपर गायत्रीदेवी आ गयी है, ऎसा मानकर निम्नलिखित विनियोग पढकर आगेके मन्त्रसे उनको प्रणाम करे-गायत्र्यसीति विवस्वान् ऋषि: स्वराण्महापंडिक्तश्छन्द: परमात्मा देवता गायत्र्युपस्थाने विनियोग:।ॐ गायत्र्यस्येकपदी व्दिपदी त्रिपदी चतुष्पद्यपदसि। न हि पद्यसे नमस्तुते तुरीयाय दर्शताय पदाय परोरजसेऽसावदो मा प्रापत्।==(गायत्री-उपस्थानके बाद गायत्री-शापविमोचनका तथा गायत्री मन्त्र-जपसे पूर्व चौबीस मुद्राओंके करनेका भी विधान है, परंतु नित्यसंध्यावन्दनमें अनिवार्य न होनेपर भी इन्हें जो विशेषरुपसे करनेके इच्छुक है, उनके लिये यहाँपर दिया जा रहा है। N/A References : N/A Last Updated : November 27, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP