हिंदी सूची|पूजा एवं विधी|नित्य कर्म पूजा|स्नान|स्नानांग-तर्पण| देव-तर्पण स्नानांग-तर्पण स्नानांग-तर्पण देव-तर्पण ऋषि-तर्पण पितृ-तर्पण इसके आगेका कृत्य जीवित-पितृक न करे । तर्पणके बादका कृत्य देव-तर्पण प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे. Tags : devatadevipoojaदेवतादेवीपूजा देव-तर्पण Translation - भाषांतर देव-तर्पण -- (इसे सपितृक भी करे) सव्य होकर, पूरबकी ओर मुँह कर अगोछेको बायें कंधेपर रखकर देवतीर्थसे मन्त्र पढ़-पढ़कर एक-एक जलाञ्जलि दे --ॐ ब्रह्मादयो देवास्तृप्यन्ताम् (१) । ॐ भूर्देवास्तृप्यन्ताम् (१) । ॐ भुवर्देवास्तृप्यन्ताम् (१) । ॐ स्वर्देवस्तृप्यन्ताम् (१) । ॐ भूर्भुव: स्वर्देवास्तृप्यन्ताम् (१) । N/A References : N/A Last Updated : November 25, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP