हिंदी सूची|पूजा एवं विधी|नित्य कर्म पूजा|स्नानसे पूर्वके कृत्य|प्रात: स्मरणीय श्लोक| सूर्यस्मरण प्रात: स्मरणीय श्लोक प्रात: स्मरणीय श्लोक गणेशस्मरण विष्णुस्मरण शिवस्मरण देवीस्मरण सूर्यस्मरण त्रिदेवोंके साथ नवग्रहस्मरण ऋषिस्मरण प्रकृतिस्मरण पुण्यश्लोकोंका स्मरण सूर्यस्मरण प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे. Tags : devatadevipoojaदेवतादेवीपूजा सूर्यस्मरण Translation - भाषांतर प्रात: स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं रुपं हि मण्डलमृचोऽथ तनुर्यजूंषि ।सामानि यस्य किरणा: प्रभवादिहेतुंब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरुपम् ॥'सूर्यका वह प्रशस्त रुप जिसका मण्डल ऋग्वेद, कलेवत यजुर्वेद तथा किरणें सामवेद हैं । जो सृष्टि आदिके कारण हैं, ब्रह्मा और शिवके स्वरुप हैं तथा जिनका रुप अचिन्त्य और अलक्ष्य है प्रात:काल मैं उनका स्मरण करता हूँ ।' N/A References : N/A Last Updated : November 25, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP