किसी भी प्रयोग को करने से पहले मंत्र का जप किया जाता है , ताकि उस प्रयोग में सफलता प्राप्त हो । ऐसे समय में निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक हैं -
स्वच्छ रहना तथा स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए ।
स्थान स्वच्छ व शुद्ध होना चाहिए । प्रतिदिन झाडू - पोंछा लगाकर उस स्थान को साफ रखना चाहिए ।
नीच व्यक्तियों के साथ वार्तालाप व उनका स्पर्श नहीं करना चाहिए । इससे दूषित परमाणुओं से पवित्रता असत्य नहीं बोलना चाहिए , क्रोध नहीं करना चाहिए तथा जहां तक हो सके मौन रहना चाहिए ।
चित्त स्थिर व स्वस्थ रखना चाहिए ।
भोजन सात्विक व हल्का करना चाहिए । वह भी एक ही समय लें तो अच्छा है ।
भोजन व जल ग्रहण करते समय मन को साफ रखना चाहिए ।
हजामत नहीं बनानी चाहिए तथा गरम पानी से स्नान नहीं करना चाहिए ।
किसी को शाप या आशीर्वाद नहीं देना चाहिए ।
किसी भी धर्मशास्त्र व व्यक्ति की निंदा नहीं करनी चाहिए ।
काम , क्रोध , मोह , लोभ , मद , हिंसा , असत्य से जहां तक हो सके , बचना चाहिए ।
निर्भय होना चाहिए । मंत्र , देवता व गुरु की उपासना श्रद्धा - भक्ति तथा विश्वासपूर्वक करनी चाहिए ।