षोडशमातृका पूजन
गणेश पूजन के उपरान्त षोडशमातृका का पूजन करना चाहिए । हाथ में चावल लेकर दाहिने हाथ की ओर स्थापित लाल वस्त्र पर आरूढ़ षोडशामातृका पर चावल छोड़ते हुए निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करें ।
बेग पधारो गेह मम , सोलह माता आप ।
वंश बढ़े , पीड़ा कटे , मिटे शोक संताप ॥
इसके पश्चात् जिस प्रकार से गणेश जी का पूजन किया था , उसी प्रकार से षोडशमातृका का पूजन करें । अन्त में निम्नलिखित मन्त्र के साथ षोडशमातृका को नमस्कार करें ।
सोलह माता आपको , नमस्कार सत बार ।
पुष्टि तुष्टि मंगल करो , भरो अखण्ड भण्डार ॥
नवग्रह पूजन
बायें हाथ में चावल लेकर दाहिने हाथ से सफेद वस्त्र पर चावल छोड़े एवं निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करें ।
रवि शशि मंगल बुध , गुरु शुक्र शनि महाराज ।
राहु केतु नवग्रह नमो , सकल सँवारो काज ॥
हे नवग्रह तुमसे करूँ , विनती बारम्बार ।
मैं तो सेवक आपको , रखो कृपा अपार ॥
इसके पश्चात् जिस प्रकार गणेश जी का पूजन किया था , उसी प्रकार नवग्रह का भी पूजन करें ।
कलश पूजन
कलश पूजन हेतु बायें हाथ में अक्षत लेकर दाहिने हाथ से मिट्टी के कलश (जिसमें शुद्ध जल भरा हो ) पर अक्षत चढ़ाते हुए वरुण देवता का निम्नलिखित मन्त्र से आवाहन करें ।
जल जीवन हे जगत का , वरुण देव का वास ।
सकल देव निस दिन करें , कलश महि निवास ॥
गंगादिक नदियॉं बसें , सागर स्वल्प निवास ।
पूजा हेतु पधारिए पाप शाप हो नाश ॥
इसके पश्चात् जिस प्रकार गणेश जी का पूजन किया गया था , उसी प्रकार कलश का पूजन करें ।
रक्षा विधान विधि
बायें में मौली , रोली , अक्षत , पुष्प तथा दक्षिणा लेकर दाहिने हाथ से बन्द कर निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण कर अक्षत को चारों दिशाओं में थोड़ा -थोड़ा छोड़ें ।
पूरब में श्रीकृष्ण जी , दक्षिण में वाराह । पश्चिम केशव दुःख हरे , उत्तर श्रीधर शाह ॥
ऊपर गिरधर कृष्ण जी , शेषनाग पाताल ।
दसों दिशा रक्षा करें , मेरी नित गोपाल ॥
इसके पश्चात् उपर्युक्त मौली , रोली , चावल , पुष्प आदि गणेश जी को चढ़ाएँ और मौली उठाकर सभी देवताओं गणेश जी , लक्ष्मी जी आदि को चढ़ाएँ । इसके पश्चात् परिजनों के बॉंधते हुए तिलक करें ।